Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 569
________________ १५६२ नक्षत्रशान्ति - बौधायन द्वारा । ड० का० (सं० ९७, १८८२-८३) । नयमणिमालिका । वर्णशास्त्र का इतिहास confusena - (या श्राद्धकल्पसूत्र, छठा कात्यायन परिशिष्ट ) दे० 'श्राद्धकल्प' । टी० कर्क द्वारा। टी० श्राद्धकाशिका, विष्णुमिश्र के पुत्र कृष्ण मिश्र द्वारा । सन् १४४८-४९ में प्रणीत । टी० श्राद्धकल्पसूत्रपद्धति, अनन्तदेवकृत । नागबलिसंस्कार । नवग्रहवान । नवग्रहमख -- वसिष्ठ का कहा गया है। नवग्रहयज्ञ - बड़ोदा (सं० २२७९ ) । नवग्रहशान्ति - दे० 'वासिष्ठी' | नवग्रहशान्तिपद्धति ---- सामवेदियों के लिए, विश्राम के पुत्र शिवराम द्वारा । इण्डि० आ० ( पृ० ५७० ) । पाण्डु ० सं० १८०६ (१७४९ ई०) में । नवग्रहस्थापना - बी० बी० आर० ए० एस० (जिल्द २, पृ० २४३) । नवग्रहहोम | नागार्जुनीयधर्मशास्त्र --- आचार, विशेषतः स्त्री - धर्म पर । नानाशास्त्रार्थनिर्णय --- भवेश के पुत्र वर्धमान द्वारा । लग० १५०० ई० । नदीमुखाद्धप्रयोग | नान्दीश्राद्धपद्धति - गणेश्वर के पुत्र रामदत्त मन्त्री द्वारा । १४वीं शती का पूर्वार्ध । नारदस्मृति- -डा० जॉली द्वारा सम्पादित। टी० असहाय द्वारा; कल्याणभट्ट द्वारा संशोधित । टी० रमानाथ द्वारा । नारदीय -- समयमयूख एवं अन्य मयूखों में व० । सम्भवतः नारदपुराण । नवनीतनिबन्ध - रामजी द्वारा । क्या यह निबन्धनवनीत ही है ? नवमूर्तिप्रतिष्ठाविधि । नारायणधर्म सारसंग्रह | नारायणपद्धति - रघु० के ज्योतिस्तत्त्व एवं मलमास तत्त्व नवरत्नदान | में व० । नवरत्नमाला--प्रह्लादभट्ट द्वारा ! नारायणप्रबोोत्सव | नवरात्रकृत्य । नारायणबलिपद्धति - दालभ्य द्वारा। बड़ोदा (सं० नवरात्रनिर्णय- गोपाल व्यास द्वारा । ११४९७)। नवरात्रप्रदीप --- नन्दपण्डित द्वारा । सरस्वतीभवन (सी० नारायणबलिप्रयोग--- रामकृष्ण के पुत्र कमलाकर द्वारा । नारायणभट्टी - यह नारायण भट्ट का प्रयोगरत्न एवं अन्त्येष्टिपद्धति है । (सं० १०२१९) । नवासविधि । सं० २३) द्वारा प्रका० । नवविवेकदीपिका - वरदराज द्वारा । नवान्नभाष्यनिर्णय - गौरीनाथचक्रवर्ती द्वारा। बड़ोदा नारायणमिश्रीय। नागदेवाह्निक- शूद्रकमलाकर में व० । १६०० ई० के पूर्व । मागवेनीय - - आचारमयूख में व० । यह 'नागदेवाह्निक' ही है, ऐसा लगता है। नागप्रतिष्ठा - बौधायन द्वारा । मागप्रतिष्ठा - शौनक द्वारा । नागबलि शौनक द्वारा । मभ्यधर्मप्रदीप --- त्रिलोकचन्द्र एवं कृष्णचन्द्र के संरक्षण में जयराम के शिष्य कृपाराम द्वारा । आश्रयदाता १८वीं शती के उत्तरार्ध में बंगाल के जमीन्दार थे । नो० न्यू० (२, पृ० ९२ ) । Jain Education International नारायणवृत्ति - आचारमयूख में व० । सम्भवतः नारायण द्वारा आश्वलायनगृह्य पर टी० । नारायणस्मृति - अपरार्क द्वारा उ० । नित्यकर्मपद्धति - बड़ोदा (सं० ६०३), तिथि सं० १५४७ (१४९०-१ ई० ) । नित्यकर्मपद्धति माध्यन्दिनशाखा के प्रभाकर नायक के For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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