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धर्मशास्त्रीय प्रन्यसूची
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रामपण्डित द्वारा। विज्ञानेश्वर, चन्द्रिका, कालादर्श, सुन्दर विषयों पर। १४७४ ई. में प्रणीत । दे० वरदराज के उल्लेख हैं। १४०० ई० के उपरान्त। औफेस्ट (पृ. ८४-८७)। पुनस्वीकार निरूपण।
पुराणसार-पराशरमाधवीय, नृसिंहप्रसाद एवं आह्निकपुत्रीकरणमीमांसा-नन्दपण्डित द्वारा। यह ऊपर की। तत्त्व में व०। १३०० ई० के पूर्व ।
दत्तकमीमांसा ही है। दे० प्रक० १०५। पुराणसार----नवद्वीप के राघवराय के पुत्र राजकुमार पुनोत्पत्तिपति।
रुद्धशर्मा द्वारा। नो० (जिल्द १०, पृ० ६२-६५) पूनपान-गुल अग्नि की पुनः स्थापना के विषय में। पुराणसारसंग्रह। पुनस्पनरन--प्रथम बार वर्जित भोजन करने पर ब्राह्मण पुरुषार्थचिन्तामणि-रामकृष्ण के पुत्र विष्णुभट्ट आठवले का फिर से उपनयन।
द्वारा। काल, संस्कार आदि पर एक विशाल ग्रन्थ । पुनाएनयनप्रयोग--महादेव के पुत्र दिवाकर द्वारा। मख्यतः हेमाद्रि एवं माधव पर निर्भर। निर्णयप्रे. पुषिवाहमीमांसा-बालकृष्ण द्वारा। बड़ोदा (सं० एवं आनन्दाश्रम प्रे० द्वारा मुद्रित। बड़ोदा (सं० ...९०२६)।
१६६६), श० सं० १७०६ (१७८४-५ ई०)। पुनर्विवाहविधि।
पुरुषार्यप्रबोष-रामराजसरस्वती के शिष्य ब्रह्मानन्दपुरुचरणकौमुदी-माधवाचार्य वष के पुत्र मुकुन्द द्वारा। भारती द्वारा। भस्म, रुद्राक्ष, रुद्र-भक्ति के धार्मिक पुरश्चरणकौस्तुभ-अहोबल कृत, जो ईशानेन्द्र एवं महत्व पर क्रम से ४, ५, ६ अध्यायों में तीन भागों
नसिंहेन्द्र के शिष्य थे। बनारस में प्रणोत। वाला एक विशाल ग्रन्थ ; असनसी नदी के मलव्ली पुरणपणपत्रिका--गोविन्दानन्द की वर्षकृत्यकौमुदी स्थान पर श०सं० १४७६ में प्रणीत । विद्यारण्य का एवं रघुनन्दन के तिथितत्त्व एवं आह्निकतत्त्व में उल्लेख एवं शकमलाकर में व०। दे०बी० बी०
आर० ए. एस्. (पृ० २२०-२२२), सं० ६९९ । पुरश्चरणनिका-बिबुवेन्द्राश्रम के शिष्य परमहंस चिदम्बरम् में मुद्रित, १९०७ ई०।
देवेन्द्राश्रम द्वारा। नो० (जिल्द ७, पृ० १६३)। पुरुषार्थप्रबोधिनी।
ड. का. (सं० ३३, १८९८-९९), सं० १७५३। पुत्वार्यरत्नाकर-कृष्णानन्द सरस्वती के शिष्य रंगनाथ पुरश्चरपत्रिका-माषव पाठक द्वारा।
सूरि द्वारा। पुराणप्रामाण्यविवेक, त्रिवर्गतत्त्वविवेक, पुरश्चरणवीपिका-बिबुधेन्दाश्रम द्वारा।
मोक्षतत्त्वविवेक, वर्णादिधर्मविवेक, नामकीर्तनादि, पुरश्चरणबनिका---जयरामभट्ट के पुत्र काशीनाथ द्वारा। प्रायश्चित, अधिकारी, तत्त्वपदार्थविवेक, मक्तिगत पुरणचरणदीपिका-चन्द्रशेखर द्वारा।
विवेक पर १५ तरंगों में। पुरश्चरणदीपिका-रामचन्द्र द्वारा।
पुरुषार्थसुषानिषि-सायणाचार्य द्वारा (बड़ोदा, सं. पुरस्किपाच-रघु के तिथितत्त्व में उल्लिखित। ७१०१ तथा अन्य पाण्डु० के मत से, कुछ के मत से पुरानसमुन्पष-हेमाद्रि, निर्णयामृत, नि० सि०, द्वैत- विद्यारण्य द्वारा)। धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष पर।
निर्णय में 4०। १२०० ई. के पूर्व। पुरुषोत्तमक्षेत्रतस्व--रघु० द्वारा। उड़ीसा के प्रसिद्ध पुराणसर्वस्व-बंगाल के जमीन्दार श्रीसत्य के आश्रय में जगन्नाथ मन्दिर पर। दे० प्रक० १०२।
श० सं० १३९६ (१४७४-५ ई.) में संगृहीत। पुरषोत्तमप्रतिष्ठाप्रकार-दे० पीटर्सन की छठी रिपोर्ट पुराणसर्वस्व--पुरुषोत्तम द्वारा। मित्र, नो० (जिल्द सं. ९५ । १, पृ. १८८)।
पुलस्त्यस्मृति-दे० प्रक० ४५। पुरागसर्वस्य--पुरुषोतम के पुत्र हलायुष द्वारा। ७३० पुलहस्मृति-स्मृतिचन्द्रिका एवं माधवाचार्य द्वारा व०।
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