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धर्मशास्त्रीय ग्रन्यसूची
प्रतापनारसिंह- --भारद्वाज गोत्रज तोरोनारायण के पुत्र रुद्रदेव द्वारा। गोदावरी पर प्रतिष्ठान ( आधुनिक पैठन) में श० सं० १६३२ (१७१०-११ ई० ) में प्रणीत । संस्कार, पूर्त, अन्त्येष्टि, संन्यास, यति, वास्तुशान्ति, पाकयज्ञ, प्रायश्चित्त, कुण्ड, उत्सर्ग, जातिविवेक पर प्रकाशों में विभक्त एक विशद निबन्ध । दे० बी० बी० आर० ए० एस० ( पृ० २२२, सं० ७००-७०३ ) ।
प्रौढप्रतापमार्तण्ड)
प्रतापमार्तण्ड - ( या सूर्यवंशज कपिलेश्वरात्मज पुरुषोत्तम के पुत्र, उत्कलराज प्रतापरुद्र गजपति का कहा गया है। पाँच प्रकाशों में । ० प्रक० १००, नो० (जिल्द १०, पृ० २२२ - २२५ ) । समयमपूर्ण एवं श्राद्धमयूख में उल्लिखित । प्रतापमार्तण्ड - माधव के पुत्र रामकृष्ण द्वारा प्रतापरुद्र गजपति के आदेश से रचित । स्टीन ( पृ० ९६ ) । सम्भवतः यह उपर्युक्त ही है । प्रतापदग्रनिबन्ध-- शंकरभट्ट द्वारा द्वैतनिर्णय में उल्लिखित । सम्भवतः यह प्रतापमार्तण्ड है । प्रतापार्क -- रत्नाकरात्मज गंगारामपौत्र, रामेश्वर के पुत्र 'महाशब्द' उपाधिवारी, शाण्डिल्यगोत्र के विश्वे श्वर द्वारा। उनके पूर्वज के जयसिंहकल्पद्रुम पर आवृत एवं जयसिंह के पौत्र प्रताप के आदेश से प्रगीत | अलवर (३२८ ) । प्रतिग्रहप्रायश्चित्तप्रकार।
प्रतिमादान ।
प्रतिष्ठाकल्पलता-वृन्दावन शुक्ल द्वारा ।
प्रतिष्ठाकौमुदी -- शङ्कर द्वारा ।
प्रतिष्ठाकौस्तुभ ।
प्रतिष्ठाचिन्तामणि -- गंगाधर द्वारा ।
प्रतिष्ठातस्य --- ( या देवप्रतिष्ठातत्त्व) रघुनन्दन द्वारा ।
दे० प्रक० १०२ ।
प्रतिष्ठादर्पण - नारायणात्मज गोपाल के पुत्र पद्मनाभ
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द्वारा (पाण्डु०, भण्डारकर संग्रह ) । तिथि श० सं० १७०६ (१७८४-५ ई० ) । प्रतिष्ठाग्रीधिति---अनन्तदेव के स्मृतिकौस्तुभ से । प्रतिष्ठानिर्णय-- गंगाधर कृत ।
प्रतिष्ठापद्धति - अनन्तभट्ट ( उर्फ बापूभट्ट) द्वारा । प्रतिष्ठापद्धति रघुसूरि के पुत्र त्रिविक्रम भट्ट द्वारा । नो० (जिल्द ५, पृ० १५७ ) ; पाण्डु० सं० १७८५ में उतारी गयी।
प्रतिष्ठापद्धति - नीलकण्ठ द्वारा । प्रतिष्ठापद्धति महेश्वर भट्ट हर्षे द्वारा । प्रतिष्ठापद्धति - राधाकृष्ण द्वारा । प्रतिष्ठापद्धति - शंकरभट्ट द्वारा । प्रतिष्ठाप्रकाश-- हरिप्रसाद शर्मा द्वारा । प्रतिष्ठाप्रयोग - कमलाकर द्वारा । प्रतिष्ठानयूस - - नीलकण्ठ द्वारा । दे० प्रक० १०७ । घरपुरे द्वारा मुद्रित । प्रतिष्ठाप्रयोग भी नाम है । दे० अलवर (उद्धरण ३३० ) । प्रतिष्ठारत्न ।
प्रतिष्कासमुच्चय- रघु० के देवप्रतिष्ठातस्त्व में व० । प्रतिष्ठासागर -- बल्लालसेन कृत। उनके दानसागर में व० दे० प्रक० ९३ ।
प्रतिमाप्रतिष्ठा - नीलकण्ठ द्वारा ।
प्रतिष्ठासार -- रामचन्द्र द्वारा । शान्तिमयूख में व० ।
प्रतिमासंग्रह -- चण्डेश्वर के दानरत्नाकर में उल्लि - प्रतिष्ठासारखीपिका - पंचवटी निवासी चिन्तामणि के पुत्र
खित ।
प्रतिष्ठार्कपद्धति -- दिवाकर द्वारा । प्रतिष्ठाबिवेक उमापति द्वारा ।
प्रतिष्ठाबिबेक शूलपाणि द्वारा । दे० प्रक० ९५ । प्रतिष्ठासंग्रह ।
पाण्डुरंग टकले द्वारा । श० सं० १७०२ (१७८०८१ ई०) में प्रणीत । बड़ोदा (सं० ३३३ ) | प्रतिष्ठातारसंग्रह- हेमाद्रि ( दानखण्ड, पृ० १३४),
कुण्डमण्डपसिद्धि एवं दानमयूख द्वारा व० । प्रतिष्ठेषु-- नारायण भाटे के पुत्र त्र्यम्बक द्वारा। बड़ोदा (सं० ११०८९ बी) ।
प्रतिष्ठोवोत - (दिनकरोद्योत का अंश) दिनकर एवं उनके पुत्र विश्वेश्वर (गागाभट्ट) द्वारा ।
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