Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 579
________________ १५७२ धर्मशास्त्र का इतिहास पुष्टिमार्गीयाह्निक- वल्लभाचार्य सम्प्रदाय के लिए व्रजराज द्वारा । पुष्प चिन्तामणि । पुष्पमाला --- रुद्रधर द्वारा। देव पूजा में प्रयुक्त होने वाले पुष्पों एवं पत्तियों पर । पुष्पसारसुधानिषि-- अहल्याकामधेनु में उल्लिखित । पूजनमालिका -- भवानीप्रसाद द्वारा । पूजापद्धति -- जनार्दन के पुत्र आनन्दतीर्थ द्वारा । पूजापद्धति -- ( या पद्यमाला ) आनन्दतीर्थ के शिष्य जयतीर्थ द्वारा। बड़ोदा (सं० ८६८५ ) । पूजापद्धति -- विष्णुभट्ट छजवलकर के पुत्र रामचन्द्र भट्ट द्वारा। बड़ोदा (सं० १०४७१), पाण्डु० श० सं० १७३५, अर्थात् १८१३-१४ ई० में उतारी गयी । प्रजापाल - आह्निकचन्द्रिका में उल्लिखित । पूजाप्रकाश -- मित्र मिश्र द्वारा (बीरमित्रोदय का अंश ) । दे० प्रक० १०८ । पूजाप्रदीप -- गोविन्द द्वारा । रघु० के दीक्षातत्त्व में उल्लिखित । पूजारतनाकर चण्डेश्वर द्वारा । दे० प्रक० ९० । पूर्णचन्द्र -- रिपुञ्जय द्वारा । प्रायश्चित्त पर । पूर्तकमलाकर-कमलाकर भट्ट द्वारा । दे० प्रक० १०६ । पूर्तप्रकाश-प्रतापनारसिंह ( रुद्रदेव कृत) का एक Jain Education International शर्मा ( विरुद 'पन्त' ) द्वारा ड० का ० ( मं० १२६, १८८४-८६); १६५९, अर्थात् १७३७-३८ ई० (नन्दपञ्चनृपसंमितशाके) में प्रणीत । इसमें श्रवणाकर्म प्रायश्चित्त आदि का विवेचन है । पृथ्वीरहस्य - अहल्या कामधेनु में व० । पंयस्मृति - मिताक्षरा ( याज्ञवल्क्यस्मृति २०१८) में उल्लिखित | पैठीनसिस्मृति - दे० प्रक० २४ । पैतृकतिथिनिर्णय-(--चक्रधर द्वारा । पतृमेधिक भरद्वाज गोत्र के यल्लुभट्ट के पुत्र पलाजि द्वारा । भारद्वाजीय सूत्र एवं कपर्दी के अनुसार । हुल्श (सं० ५८ ) । पैतृमेषिकसूत्र -- भारद्वाज द्वारा ( दो प्रश्नों में, प्रत्येक १२ कण्डिकाओं में ) । प्रकाश -- बहुत से ग्रन्थों का विरुद 'प्रकाश' है, यथा--- सर्वधर्म प्रकाश (शंकरभट्टकृत ), परशुरामप्रकाश, परिशिष्टप्रकाश | प्रकाश दे० प्रक० ७४ । प्रक्रियाञ्जनटीका वैद्यनाथ दीक्षित द्वारा । प्रचेतः स्मृति - दे० प्रक० ४६ । प्रजापतिस्मृति - दे० प्रक० ४७, आनन्दाश्रम प्रे० ( पृ० ९०-९८ ) में मुद्रित । प्रजापद्धति -- राजनीति पर | प्रकरण । पूर्तमाला - रघुनाथ द्वारा । पूतोत- विश्वेश्वर भट्ट द्वारा । दिनकरोद्द्योत का एक अंश । पूर्वालीला - वैष्णवों के लिए स्नान से पूजा तक के प्रणवकल्प -- आनन्दतीर्थं द्वारा | कृत्यों पर । पृथगुद्राह । प्रणवकल्प --- (स्कन्दपुराण से ) टी० प्रकाश, रामचन्द्र सरस्वती के शिष्य गंगाधर सरस्वती द्वारा । पृथ्वीचन्द्रोदय -- हेमाद्रि ( चतुर्वर्ग० ३।१।१८३), द्वैतनिर्णय ( शंकरभट्ट), विधानपारिजात, नि० सि० द्वारा व० । १२५० ई० के पूर्व । पृथ्वीमहोदय -- भारद्वाज गोत्र के उमापति पुत्र प्रेमनिधि पृथ्वीचन्द्र - सम्भवतः यह पृथ्वीचन्द्रोदय ही है। प्रणवदर्पण - वेंकटाचार्य द्वारा । विधानपारिजात में व० । प्रणवदर्पण - श्रीनिवासाचार्य द्वारा । प्रणवपरिशिष्ट - रघु० के आह्निकतत्त्व में व० । प्रणवार्चनचन्त्रिका मुकुन्दलाल द्वारा । प्रणवोपासनाविधि-- अग्निहोत्रपाठक के पुत्र एवं काशीपाठक के पौत्र गोपीनाथ पाठक द्वारा । प्रजापालन । प्रणवकल्प - शौनककृत कहा गया है। ओंकार के रहस्यवादी प्रभाव एवं रूप पर। टी० हेमाद्रि द्वारा । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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