Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 582
________________ धर्मशास्त्रीय ग्रन्यसूची प्रयोगदर्पण - चायम्भट्ट के पुत्र नारायण द्वारा। ऋग्वेदविधि के अनुसार गृह्य कृत्यों पर उज्ज्वला ( हरदत्त कृत), हेमाद्रि, चण्डेश्वर, श्रीधर, स्मृतिरत्नावलि के नाम आये हैं । १४०० ई० के उपरान्त । प्रयोगदर्पण - नारायण के पुत्र गोपालात्मज पद्मनाभ दीक्षित द्वारा । देवप्रतिष्ठा, मण्डपपूजा, तोरणपूजा आदि पर । प्रयोगदर्पण ---- रमानाथ विद्यावाचस्पति द्वारा । गृहस्थों के आकों पर । हेमाद्रि को उ० करता है । प्रयोगदर्पण - वीरराघव द्वारा । प्रयोगदर्पण - वैदिक सार्वभौम द्वारा । प्रयोगदर्पण - अज्ञात । नो० न्यू० (जिल्द २, पृ० १९० ), अन्त्येष्टि किया एवं श्राद्ध पर । स्मृत्यर्थसार के लेखक श्रीधर का उ० है । प्रयोगवीप - दयाशंकर द्वारा (शांखायनगृह्य के लिए) । प्रयोगदीपिका - मञ्चनाचार्य द्वारा । प्रयोगदीपिका - रामकृष्ण द्वारा । प्रयोगदीपिकावृत्ति | प्रयोगपरत्न -- चातुर्मास्यप्रयोग में व० । प्रयोगपद्धति -- गंगाधर द्वारा (बौधायनीय) | झिंगय्य कोविद (पंजल मंचनाचार्य के पुत्र) द्वारा ; इसे शिगाभट्टीय कहा जाता है। दामोदर गार्ग्य द्वारा; कर्कोपाध्याय, गंगावर, हरिहर पर आधृत है एवं पारस्करगृह्य का अनुसरण करता है। इसका नाम संस्कारपद्धति भी है । रघुनाथ द्वारा ( रुद्रभट्ट अयाचित के पुत्र); आश्वलायनीय । हरिहर द्वारा (गृह्य कृत्यों पर) दो काण्डों में; पारस्करगृह्य की टी० से सम्बन्धित । प्रयोगपद्धति कात्यायनश्राद्धसूत्र से सम्बन्धित । प्रयोगपद्धतिसुबोधिनी -- शिवराम द्वारा । प्रयोगपारिजात -- नरसिंह द्वारा । इण्डि० आ० ( पृ० ४१५, सं० १३९६ ) । हेमाद्रि, विद्यारण्य, प्रसाद (जिसे सम्पादक ने नृसिंहप्रसाद माना है) का उल्लेख है । यह निम्नोक्त है और प्रसाद विट्ठल की टी० 'प्रसाद' (रामचन्द्र की प्रक्रियाकौमुदी पर ) है । Jain Education International १५७५ इण्डि० आ० ( पृ० १६६) एवं भण्डारकररिपोर्ट दे० (१८८३-८४, पृ० ५९ ) जहाँ क्रम से टी० 'प्रसाद' तथा वंशावली का उल्लेख है । प्रयोगपारिजात कौण्डिन्य गोत्रीय एवं कर्णाटक के निवासी नृसिंह द्वारा । पाँच काण्ड हैं— संस्कार, पाकयज्ञ, आधान, आह्निक गोत्रप्रवरनिर्णय पर ! संस्कार का भाग निर्णय० प्रेस में मुद्रित (१९१६) । २५ संस्कारों का उ०; कालदीप, कालप्रदीप, कालदीपभाष्य, किवासार, फलप्रदीप, विश्वादर्श, विधिरत्न, श्रीधरी, स्मृतिभास्कर का उल्लेख है; हेमाद्रि एवं माधव की आलोचना है । १३६० ई० एवं १४३५ ई० के बीच में प्रणीत । सम्भवतः यही ग्रन्थ नृसिंहप्रसाद (दानसार) एवं नारायण भट्ट के प्रयोगरन में ० है । बीकानेर ( पृ० ४३९) में सं० १४९५ ( १४३८-३९ ई० ) पाण्डु० की तिथि है। प्रयोगपारिजात -- देवराजार्य के पुत्र पुरुषोत्तम भट्ट द्वारा । प्रयोगपारिजात -- रघुनाथ वाजपेयी द्वारा । प्रयोगपारिजातसारावलि - धर्मप्रवृत्ति में व० । प्रयोगप्रदीप- शिवप्रसाद द्वारा । प्रयोगमंजरीसंहिता - श्रीकण्ठ द्वारा। बड़ोदा (सं० १२९५९)। प्रयोगमणि - अभयङ्कर नारायण के पुत्र केशवभट्ट द्वारा । प्रयोगमुक्तावलि - भिभिसूरि ( ? ) तिपिलि द्वारा । ड० का० पाण्डु० (सं० १०२, १८७१-७२ ) । विज्ञानेश्वर, प्रयोगपारिजात, नृसिंह, आचारमयूख का उल्लेख है । १६५० ई० के उपरान्त । प्रयोगमुक्तावलि - वीरराघव द्वारा । प्रयोगरत्न - ( या स्मार्तानुष्ठानपद्धति) विश्वनाथ के पुत्र अनन्त द्वारा । आश्वलायन के अनुसार २५ संस्कारों, स्वस्तिवाचन, पुण्याहवाचन, स्थालीपाक, परिभाषा, प्रायश्चित्त का विवरण है। इण्डि० आ० (जिल्द ३, पृ० ५१५ ) । प्रयोगरत्न -- (हिरण्यकेशीय) विश्वनाथ के पुत्र अनन्तदेव द्वारा । दे० पीटर्सन (पाँचवी रिपोर्ट, सं० १२६) । सम्भवतः यह उपर्युक्त ही है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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