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पर्मशास्त्र का इतिहास धर्मवैतनिर्णय-दे० शङ्करभट्टरचित 'द्वैतनिर्णय'।। निर्णय, मदनपारिजात, प्रगोगपारिजात, महार्णव, धर्मनिबन्ध-रामकृष्ण पण्डित द्वारा।
अनन्ताचार्य, कालादर्श, नारायणवृत्ति (आश्वलायन धर्मनिबन्धन।
पर) का उल्लेख है। नन्दपण्डित (श्राद्धकल्पलता) धर्मनिर्णय-कृष्णताताचार्य कृत ।
द्वारा व० । इण्डि० आ० (पृ० ४८०, सं० १५६०); धर्मपद्धति---नारायण भट्ट द्वारा।
तिथि सं० १६५९ (१६०२-३) अतः १४००धर्मपरीक्षा-मञ्जरदास द्वारा।
१६०० के बीच। दे० प्रक० १०३ । धर्मप्रकाश-माधव द्वारा। इ० का० (सं० २२१, धर्मप्रश्न--(आपस्तम्बीय) आपस्तम्बधर्मसूत्र का एक
१८८६-९२) । समयालोक, अर्थात् चैत्र एवं अन्य अंश। मासों के व्रतों पर। माधवीय, वाचस्पति मिश्र, धर्मबिन्दु। पुराणसमुच्चय का उल्लेख है। १५०० ई. के धर्मबोधन। उपरान्त।
धर्मभाष्य--स्मृतिचन्द्रिका एवं हेमाद्रि (३, २, ७४७) धर्मप्रकाश-(या सर्वधर्मप्रकाश) नारायण भट्ट एवं द्वारा २० । पार्वती के पुत्र शङ्करभट्ट द्वारा। १६वीं शती का धर्ममार्गनिर्णय-बड़ोदा (सं० ११८२१) । उत्तरार्ध । मेधातिथि, अपरार्क, विज्ञानेश्वर, स्मृत्यर्थ- धर्मरल-जीमूतवाहन द्वारा एक निबन्ध, जिसके कालसार, कालादर्श, चन्द्रिका, हेमाद्रि, माधव, नृसिंह विवेक एवं दायभाग अंश हैं। एवं त्रिस्थलीसेतु का अनुसरण है । लेखक की शास्त्र- धर्मरल-भट्टारकभट्ट के पुत्र भयाभट्ट द्वारा। आह्निक दीपिका का भी उल्लेख है। इसके संस्कार संबन्धी और अन्य विषयों पर दीधितियों में विभक्त । भाग के लिए दे० इण्डि० आ० (३, पृ० ४८२, सं० धर्मरत्नाकर-रामेश्वर भट्ट द्वारा। धर्मस्वरूप, तिथि१५६४)।
__ मासलक्षण, प्रतिपदादिषु विहितकृत्य विधान, उपवास, धर्मप्रदीप-(या दीप) स्मतिचन्द्रिका (आशौचखण्ड), यगादिनिरूपण, संक्रान्ति, अदभत, आशौच, श्राद्ध, शूलपाणि (प्रायश्चित्तविवेक), रघुनन्दन (शुद्धितत्त्व), वेदाध्ययन, अनध्याय आदि पर। कालादर्श आदि द्वारा व०।
धर्मविवृत्ति-मदनपारि० (पृ० ७७२) द्वारा परिषद्धर्मप्रदीप-गंगाभट द्वारा।
निर्माण, संस्कारमयूख, प्रायश्चित्तमयूख में व० । धर्मप्रदीप--धनञ्जय द्वारा। नो० न्यू० (२, पृ० ४६) मदनपा० (पृ० ७५३) ने प्रायश्चित्त पर एक धर्म(केवल गोत्र पर)।
वृत्ति उ० की है। सम्भवतः दोनों एक ही हैं और धर्मप्रदीप-वर्षमान द्वारा।
उपर्युक्त धर्मभाष्य' ही है। धर्मप्रदीप-भोज द्वारा। दे० प्रक० ६४, १४००-१६०० धर्मविवेक-चन्द्रशेखर द्वारा। मीमांसा के न्यायों की ई. के मध्य में।
व्याख्या है। धर्मप्रदीपिका--अभिनवषडशीति पर। वेंकटेश के पुत्र धर्मविवेक-दामोदर एवं हीरा के पुत्र तथा भीम सुब्रह्मण्य द्वारा।
के पौत्र विश्वकर्मा द्वारा। आठ काण्डों में धर्मप्रवृत्ति-नारायण भट्ट द्वारा। शंकरभट्ट (द्वैतनिर्णय), उपवास एवं उत्सवों पर। कालमाधव, मदनरत्न,
नन्दपण्डित (शुद्धिचन्द्रिका) एवं व्यवहारमयूख द्वारा हेमाद्रिसिद्धान्तसंग्रह के उद्धरण हैं। १४५०वर्णित । आह्निक, शौच, गर्भाधान एवं अन्य संस्कारों, १५२५ ई० के बीच। देखिए विस्तार के लिए गोत्रनिर्णय, श्राद्ध, आशौच, दान, प्रायश्चित्त, तिथि- अलवर (उद्धरण ३२०)। पाण्डु० की तिथि सं० निर्णय, स्थालीपाक पर विवेचन है। माधवीय काल- १५८३ है।
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