Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 565
________________ धर्मशास्त्र का इतिहास देवप्रतिष्ठाप्रयोग-गंगाधर दीक्षित के पुत्र श्यामसुन्दर एवं मृत्यु-तिथि सं० १७८१ है। सन १९०६ में द्वारा। प्रकाशित। रेवप्रतिष्ठाविषि---बीकानेर (पृ० ३८०) । ब्राह्मायणगापरिशिष्ट। देवयानिकपडति--(यजुर्वेदीय) देवयाज्ञिक कृत (काशी ब्राह्मायणगृह्यपूर्वापरप्रयोग। सं० सी० में प्रका०)। प्रामायणगृह्यसूत्र-देखिए खादिरगृह्यसूत्र। आनन्दादेवलस्मृति-दे० प्रक० २३; आनन्दाश्रम द्वारा प्रका० श्रम प्रेस (पूना) में मुद्रित, टीका के साथ। टी. (पृ. ८५-८९)। रुद्रस्कन्द द्वारा। टी. सुबोधिनी, श्रीनिवास द्वारा। देवस्थापनकोमुबी-बल्लाल के पुत्र शंकर द्वारा (उपाधि ब्राह्मायणगृह्यसूत्रकारिका-बालाग्निहोत्री द्वारा। घारे) । बड़ोदा (सं० १४६४) । ब्राह्मायणगृह्यसूत्रप्रयोग--विनतानन्दन द्वारा। देवालयप्रतिष्ठाविषि-रमापति द्वारा। द्रोणचिन्तामणि। देवीपरिचर्या-अहल्याकामधेनु में व०। द्वात्रिंशत्कर्मपद्धति। देवीपूजनभास्कर--शम्भुनाथ सिद्धान्तवागीश द्वारा। द्वात्रिंशदपराध--बड़ोदा (सं० १२२२५) । नो० (जिल्द १, पृ. १५४) ने समाप्तिकाल दिया द्वादशमासदेयदानरत्नाकर। है-'खयु मिशिवे शाके निशाचरतिथौ शुभे'। द्वादशयात्रातस्व--(या द्वादशयात्राप्रमाणतत्त्व) रघुदेवीपूजापति--चैतन्यगिरि द्वारा। नन्दनकृत । जगन्नाथपुरी में विष्णु की १२ पात्राओं देशान्तरमृतक्रियानिरूपण। या उत्सवों पर। देहशुद्धिप्रायश्चित--औफेस्ट (६७३) । द्वादशयात्राप्रयोग--विद्यानिवास द्वारा (जगन्नाथ के वैवाचिन्तामणि--टोडरानन्द में व०। विषय में) नो० न्यू० (१, पृ० १९४) । वज्ञमनोहर---लक्ष्मीधर द्वारा। रघु के ज्योतिस्तत्त्व, द्वादशविषपुत्रमीमांसा। मलमासतत्त्व में एवं टोडरानन्द तथा नि० सि० में द्वादशाहकर्मविधि। व०। ज्योतिष-सम्बन्धी ग्रन्थ । १५०० ई. के पूर्व। विजकल्पलता--छः उल्लासों में परशुराम द्वारा। हुल्श देवावल्लभ-नीलकण्ठ या श्रीपति द्वारा; नि० सि. में (३, पृ० ६०) । व० (सम्भवतः केवल ज्योतिष-ग्रन्थ)। द्विजराजोदय। बोलयात्रा। द्विजाहिकपति-हलायुध के ज्येष्ठभ्राता ईशान द्वारा। बोलयात्रातत्त्व--(या दोलयात्राप्रमाणतत्त्व) रघु० लग० ११७०-१२०० ई० । द्वारा। दे० प्रक९ १०३ । नो० न्यू० (जिल्द १, पृ० द्विभार्याग्नि। १९१)। द्विविधजलाशयोत्सर्गप्रमाणदर्शन--बुद्धिकर शुक्ल द्वारा। वोलयात्रामृतविवेक-शूलपाणि द्वारा। दे० प्रक० ९५। विसप्ततिवाद। बोलायात्रामृत--नारायण तर्काचार्य द्वारा। द्वैततस्व-सिद्धान्तपञ्चानन कृत। बोलारोहणपति-विद्यानिवास द्वारा। द्वतनिर्णय--चन्द्रशेखर वाचस्पति (विद्याभूषण के पुत्र) द्रव्यमुद्धि-रघुनाथ द्वारा। द्वारा । कलकत्ता संस्कृत कालेज पाण्डु० (जिल्द २, द्रव्यशुदिदीपिका-पीताम्बर के पुत्र पुरुषोत्तम द्वारा। पृ० ७९)। लेखक ने अपने को 'श्रीमद्वल्लभाचार्यचरणाब्जदास- द्वैतनिर्णय--नरहरि द्वारा। क्षयमासादिविवेक में रत्नदास' कहा है। नि०सि०, शुद्धिमयूख, दिनकरोद्योत पाणि द्वारा उ०। रत्नाकर का उल्लेख है। के उद्धरण हैं। जन्मतिथि सं० १७२४ (१६६८ ई०) द्वतनिर्णय--वाचस्पति मित्र द्वारा। दे० प्रक० ९८॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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