Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 574
________________ धर्मशास्त्रीय प्रन्यसूची १५६७ पडितपरितोष--चतुर्वर्गचिन्तामणि में गोविन्दराज का धिकारी नारायणपण्डित के पुत्र खण्डेराय द्वारा। खण्डन करते हुए हेमाद्रि द्वारा व०। दे० प्रक० ७६।। यह दो उल्लासों में आचार एवं श्राद्ध पर है। गोमती पण्डितसर्वस्व-हलायुध कृत। ब्राह्मणसर्वस्व एवं प्राय- पर यमुनापुरी में संगृहीत। शाकद्वीपीय कुलावतंस श्चित्ततत्त्व में व० । जीवानन्द (जिल्द १,पृ०५३१)। होरिलमिश्र के पुत्र परशुराम की आज्ञा से प्रणीत। पतितत्यागविधि-दिवाकर द्वारा। आचारार्क एवं स्मृत्यर्थसागर में व०। माधवीय पतितसंसर्गप्रायश्चित्त-तंजौर के राजा सोंजी के एवं मदनपाल का इसमें उल्लेख है। १४००-१६०० तत्वावधान में पण्डितों की परिषद द्वारा प्रणीत। के बीच। हुल्श (रिपोर्ट ३, पृ० १२ एवं १२०)। परशुरामप्रताप-जामदग्न्य वत्सगोत्र के पण्डित पद्मनाभ पतितसहगमननिषेधनिरासप्रकाश। के पुत्र साम्बाजी प्रतापराज (साबाजी) द्वारा। पदचन्द्रिका--दयाराम द्वारा। ये भट्ट कूर्म के शिष्य एवं निजामशाह के आश्रित थे। पदार्थावर्श--रामेश्वर भट्ट कृत। निर्णयसिन्धु एवं इसमें कम-से-कम आह्निक, जातिविवेक, दान, प्रायशूद्रकमलाकर में व०। श्चित्त, संस्कार, राजनीति एवं श्राद्ध का विवेचन है। पद्धतिरत्न --रूपनारायण द्वारा (बड़ोदा, सं० २३९३) । दे० विश्रामबाग-संग्रह (ड० का०) २, सं० २४३पद्मनाभनिधन्ध। २४६ एवं बर्नेल (तंजौर, पृ० १३१ए)। एक विशद पमन्यास--जीमूत० के कालविवेक द्वारा व०। ग्रन्थ। बड़ोदा (सं० ५८८७) का राजवल्लभकाण्ड परभूजातिनिर्णय। विषय में मानसोल्लास के समान है। टी० श्राद्धपरभूप्रकरण----नीलकण्ठ सूरि द्वारा। काण्डदीपिका या श्राद्धदीपकलिका (बोपदेवपण्डित) । परभूप्रकरण--बाबदेव आटले द्वारा। हेमाद्रि, कालादर्श उ० है। परभूप्रकरण--गोविन्दराय द्वारा (मित्र, नो० १०, पराशरस्मृति-भार्गवराय द्वारा (दे० 'वर्णजातिसंकर पृ० २९६)। लग० १७४०-४९ ई०, शिवाजी के माला')। पौत्र शाहूजी के राज्यकाल में जब बालाजी बाजीराव पराशरस्मृति--दे० प्रक० ३५ (सात बार प्रका०, पेशवा थे। गोविन्दराय राजलेखक एवं शाह के बनारस सं० सी० का सम्पादन अत्युत्तम ; जीवा०, प्रियपात्र थे। इसमें बाबदेव आटले को कपटी एवं भाग २, पृ०१-५२)। टी० माधवाचार्य द्वारा, करहाड ब्राह्मण कहा गया है। दे० प्रक० ९२ (बनारस सं० सी०)। टी० गोविन्दपरमहंसपरिवाजकधर्मसंग्रह-विश्वेश्वर सरस्वती भट्ट, रघुनन्दन के मलमासतत्त्व में व० (जीवा०, द्वारा। यह यतिवमसंग्रह है (आनन्दाश्रम प्रेस में पृ० ७८७), १५०० ई० के पूर्व । टी० विद्वन्मनोहरा प्रका०)। (नन्दपण्डितकृत), दे० प्रक० १०५ (इण्डि० आ०, परमहंससंन्यासपद्धति। ३, पृ० ३७७, सं० १३०१, जहाँ कुछ सारांश है); परमहंससंध्योपासन---शंकराचार्य द्वारा। बी० बी० . बनारस के 'दी पण्डितपत्र' में प्रका०;नो० न्यू०, जिल्द आर० ए० एस० (जिल्द २, पृ० २४६)। २९-३२। टी० महादेव एवं वेणी के पुत्र वैद्यनाथ परमहंससंन्यासविधि। पायगुण्डे द्वारा, जो नागोजि के शिष्य थे। टी० परमेश्वरीवासाधि-(या स्मृतिसंग्रह) होरिलमिश्र कामेश्वरयज्वा कृत हितधर्म; माधवीय का उल्लेख द्वारा (बीकानेर, पृ० ४३१)। है। ताड़पत्र पाण्डु० सं० ६९५६ (बड़ोदा)। परशुरामकारिका--अनन्तदेव के रुद्रकल्पद्रुम में व०। परिभाषाविवेक-बिल्वपंचक .कुल के भवेश के पुत्र परशुरामप्रकाश--(था निबन्ध) वाराणसी में धर्मा- वर्षमान द्वारा। लग० १४६०-१५०० ई० । नित्य, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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