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दानमुक्तावली । बानरत्न -- दानचन्द्रिका में व० ।
धर्मशास्त्र का इतिहास
९० । भट्टराम
वानरत्न -- अनूपविलास का एक अंश । दानरत्नाकर -- चण्डेश्वर द्वारा। दे० प्रक० वानरत्नाकर - होशिंग कुल के मुद्गल पुत्र द्वारा । मरुदेशस्य जोधपुर के राजा अनूपसिंह के आदेश से संगृहीत। अनूपसिंह की वंशावली दी हुई है; बीका ने बीकानेर बसाया। भट्टराम ने राजा की आज्ञा से निम्न पाँच ग्रन्थ रचे--अनूपविवेक ( शालग्रामपरीक्षण ), सन्तानकल्पलतिका, अनूपकुतुकार्णव, अमृतमंजरी (विषों के मार्जनों पर) एवं चिकित्सामालतीमाला । लग० १६०५ ई० । वानवाक्य ।
दानवाक्यसमुच्चय-- योगीश्वर द्वारा ( बड़ोदा, सं० १०५१३; संवत् १५८७ (१६३०-३१ ई० ) । ड० का० (पाण्डु ० ३३२), १८८०-८१ । दानवाक्यसमुच्चय--योगीश्वर द्वारा । भोजदेवसंग्रह में व० । पाण्डु० शक १२९७ (१३७५ ई०) में उतारी गयी ।
१८९१-९५) । दानविजय ।
दानविवेक - हेमाद्रि, दानचन्द्रिका, दानमयूख (नीलकण्ठकृत) में व० ।
दानविवेक --भट्टोजिदीक्षित के पुत्र भानुदीक्षित द्वारा । लग० १६५० ई० । दानविवेकोद्योत - ( या दानोद्योत ) मदनरत्न से । दानसंक्षेपचन्द्रिका - महादेव के पुत्र दिवाकर द्वारा । दे० 'दानचन्द्रिका' ।
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दानसागर -- अनन्तभट्ट द्वारा । दानसागर --- बल्लालसेन के ग्रन्थ के आधार पर कामदेव महाराज द्वारा । दानसागर-बल्लालसेन द्वारा दे० प्रक० ८३ । दानसार --- नृसिंहप्रसाद का अंश । दे० प्रक० ९९ । वानसारसंग्रह -- ( केवल वास्तु पूजा का प्रकरण) अलवर (१३५५, ३१९) । बानसारावली-बीकानेर ( पृ० ३७५) । दानसौल्य - दानचन्द्रिका एवं दानमयूख (टोडरानन्द का भाग) में व० । दानहीरावलिप्रकाश----भारद्वाज महादेव के पुत्र दिवाकर द्वारा । नीलकण्ठ के दौहित्र । उनके छोटे पुत्र वैद्यनाथ द्वारा पद्य में संक्षेप जोड़ा गया। धर्मशास्त्रसुधानिधि ग्रन्थ का एक भाग (इण्डि० आ०, जिल्द ३, पृ० ५४७-४८ ) । अनुक्रमणिका, लेखक के पुत्र वैद्यनाथ द्वारा ।
दानवास्यावलि - नरराज द्वारा । वानवाक्यावलि -विद्यापति द्वारा मिथिला के राजा नरसिंहदेव दर्पनारायण की रानी महादेवी धीरमति के संरक्षण में प्रणीत । पाण्डु० तिथि सं० १५३९ ( १४८३ ई०); १५वीं शती का पूर्वा । भण्डारकर रिपोर्ट (१८८३-८४, पृ० ३५२ ) । दानवाक्यावलि - अज्ञात । ४० का० (सं० ३६७, बायकौमुदी - पीताम्बर सिद्धान्तवागीश द्वारा । लग०
दानहेमाद्रि चतुर्वर्गचिन्तामणि का एक अंश । बानार्णव--- मिथिला के वीरनारायण नरसिंहदेव ( कामेश्वरराजपंडित) की पत्नी धीरमति के आदेश से विरचित । १५वीं शती का पूर्वार्ध । बानोद्धोत- ( मदनरत्नप्रदीप का एक अंश ) । यह विवेक ही है । दानोद्योतकृष्णराम द्वारा । -
दामोदरीय निर्णयदीपक, शुद्धिमयूख एवं समयमयूख में व० । १५०० ई० के पूर्व ।
१६०४ ई० । कलकत्ता में १९०४ ई० में प्रका० । वायक्रमसंग्रह - श्रीकृष्ण तर्कालंकार कृत (कलकत्ता में १८२८ में मुद्रित एवं विच द्वारा अनूदित ) । आचार्य चूड़ामणि का उल्लेख है ।
वायतत्त्व - (या दायभागतत्व) रघुनन्दन कृत । जीवा० द्वारा प्रका० दे० प्रक० १०२ । टी० काशीराम वाचस्पति द्वारा। टी० राधामोहन द्वारा। टी० वृन्दावन शुक्ल द्वारा | टी० अज्ञात (नो० न्यू०, जिल्द २, पृ० ८० ) ।
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