________________
धर्मशास्त्रीय ग्रन्यसूची
१५२३
आह्निकसार--बालंभट्ट द्वारा (सम्भवतः आह्निक- उत्सर्गप्रयोग--नारायण भट्ट द्वारा। सारमंजरी के लेखक)।
उत्सर्गमयूख---नीलकण्ठ द्वारा (जे० आर० घरपुरे द्वारा आह्निकसार--सुदर्शनाचार्य द्वारा।
बम्बई में मुद्रित)। आह्निकसार--हरिराम द्वारा।
उत्सर्गोपाकर्मप्रयोग--नारायण भट्ट के सुत रामकृष्ण आह्निकसारमञ्जरी--विश्वनाथभट्ट दातार के पुत्र द्वारा। बालम्भट्ट द्वारा।
उत्सर्जनपद्धति। आह्निकसूत्र--गौतम का, ब्राह्मणों के कर्तव्यों पर १७ उत्सर्जनोपाकर्मप्रयोग--महादेव के सुत बापूभट्ट द्वारा।
खण्डों में। दे० बी० बी० आर० ए० एस०, पृ० । उत्सवनिर्णय-तुलजाराम द्वारा। २०४, सं० ६५१।
उत्सवनिर्णय--पुरुषोत्तम द्वारा। आह्निकस्मृतिसंग्रह।
उत्सवनिर्णयमंजरी-गंगाधर द्वारा। शक सं० १५५४ आह्निकाचारराज--सर्वानन्द-कुल के पुष्कराक्षप्रपौत्र (१६३२ ई०) में प्रणीत (बड़ोदा. सं० २३७५)।
रामानन्द वाचस्पति द्वारा। लग० १७५० ई० उत्सवप्रकाश। में नदिया के राजा कृष्णचन्द्रराय के संरक्षण में उत्सवप्रतान--पुरुषोत्तम द्वारा। संगहीत।
उदक्याश द्धिप्रकाश---ज्वालानाथ मिश्र द्वारा। आलिकामत-रंगनाथ के सुत वासुदेव भट्टाचार्य द्वारा। उदयाकरपद्धति--(तन्त्र) 'मालासंस्कार' में उ०। वैष्णवों की वैखानस शाखा के कर्मों एवं धार्मिक उदीच्यप्रकाश--(बड़ोदा, सं० ८०१६) । कृत्यों पर।
उद्यानप्रतिष्ठा। आह्निकोबार---रघुनन्दन द्वारा आह्निकतत्त्व में उ०। उद्यापनकालनिर्णय। इन्द्रवत्तस्मृति।
उद्वाहकन्यास्वरूपनिर्णय । इष्टिकाल-दामोदर द्वारा।
उद्वाहचन्दिका--गोवर्धन उपाध्याय द्वारा। ईशानसंहिता-समयमयूख में वर्णित।
उद्वाहतत्त्व-दे० विवाहतत्त्व। टी० काशीराम वाचईश्वरसंहिता--रघुनन्दन द्वारा तिथितत्त्व में उ०। स्पति भट्टाचार्य (सन् १८७७ एवं १९१६ में बंगला उज्वला-हरदत्त द्वारा; आपस्तम्बधर्मसूत्र पर टी०। लिपि में कलकत्ता से मुद्रित)। टी० कालामृत, वेङ्कटयज्वा द्वारा।
उद्वाहनिर्णय--गोपाल न्यायपंचानन द्वारा। उत्तरकालामृत--कालिदास द्वारा (विवाह, विरुद्धसम्बन्ध उद्वाहलक्षण। आदि पर)।
उद्वाहविवेक-- गणेशभट्ट द्वारा। उत्तरक्रियापति--याज्ञिकदेव द्वारा।
उद्वाहव्यवस्था--नो०, जिल्द २, पृ० ७७ । उत्तरीयकर्म--(काण्वीय)।
उद्वाहव्यवस्था--दे० सम्बन्धव्यवस्थाविकास । उत्पातशान्ति-वृद्धगर्ग लिखित कही गयी है। उद्वाहव्यवस्थासंक्षेप। उत्सर्गकमलाकर--कमलाकर भट्ट का।
उद्वाहादिकालनिर्णय--गोपीनाथ द्वारा (बड़ोदा, सं० उत्सर्गकर्म।
१०२२६)। उत्सर्गकौस्तुभ--अनन्तदेव के स्मृतिकौस्तुभ का अंश। उपकाश्यपस्मृति। उत्सर्गनिर्णय--कृष्णराम द्वारा।
उपचारषोडशरत्नमाला--(महादेवपरिचर्यासूत्रव्याख्या) उत्सर्गपति--अनन्तदेव द्वारा।
रघुरामतीर्थ के शिष्य सुरेश्वरस्वामी द्वारा। उत्सर्गपरिशिष्ट।
उपनयनकर्मपद्धति। ११९
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org