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धर्मशास्त्रीय ग्रन्थसूची
कर्मविपाकसार -- दलपतिराज ( लग० १५१० ई०) कल्पतर - लक्ष्मीघर द्वारा । दे० प्रक० ७७ । कल्प -- मदनपारिजात में एवं देवदास द्वारा उ० । कल्पद्रुम-दे० दानकल्पद्रुम, रामकल्पद्रुम एवं श्राद्धकल्पद्रुम । चण्डेश्वर एवं मदनपारिजात (जिनमें दोनों का अर्थ है लक्ष्मीधर का कल्पद्रुम) द्वारा उद्धृत
कल्पलता दे० कृत्यकल्पलता । कल्पलता--लोल्लट (?) द्वारा | श्रीधर, रामकृष्ण के श्राद्धसंग्रह एवं रघुनन्दन के मलमासतत्त्व द्वारा उत
द्वारा ।
कर्म विपाकसार -- नारायणभट्टात्मज रामकृष्ण के पुत्र दिनकर द्वारा (इण्डि० आ०, पाण्डु० संवत् १६९६; पृ० ५७३ ) । लग० १५८५-१६२० ई० । कर्मविपाकसार -- सूर्य राम द्वारा ।
कर्म विपाकसारसंग्रह - पद्मनाभात्मज कान्हड़ या कान्हड़ के ज्येष्ठ पुत्र द्वारा । दे० 'सारग्राहकर्मविपाक' एवं 'कर्म विपाक' ।
कर्मविपाकार्क - - शंकर द्वारा दे० कर्मविपाक । कर्म विपाकसारोद्वार |
कर्म संग्रह --- अहल्याकामधेनु में व० ।
कर्मसरणि --- विट्ठल दीक्षित द्वारा । दे० 'यजुर्वल्लभा' ।
द्वारा ( बड़ोदा, सं०
जन्म १५१९ ई० । कर्मसिद्धान्त -- पुरुषोत्तम ८३६१); श्राद्ध, स्वप्नाध्याय आदि पर । कर्मानुष्ठानपद्धति---भवदेव द्वारा दे० प्रक० ७३ ।
कर्मोपदेशिनी - हलायुध द्वारा दे० प्रक० ७२ । कलानिधि -- विश्वम्भर के स्मृतिसारोद्धार में व० । कलिका दे० 'दीपकलिका' । कमलाकर द्वारा उ० । कलिधर्म निर्णय |
कविरहस्य -- कृष्णभट्ट द्वारा । कविराजकौतुक - कविराज गिरि द्वारा ।
कश्यपस्मृति-- हेमाद्रि, माधव, विज्ञानेश्वर एवं मदनपारिजात द्वारा उ० । कश्यपोत्तरसंहिता ।
टी० 'संसारपद्धति रहस्य' ।
कर्मोपदेशिनी--अनिरुद्ध द्वारा । रघुनन्दन एवं कमलाकर कस्तूरी स्मृति-- ( या स्मृतिशेखर) कस्तूरी द्वारा |
द्वारा उ० दे० प्रक० ८२ ।
कांस्यपात्रदान | काकचण्डेश्वरी ।
कलिधमं प्रकरण - कमलाकर भट्ट द्वारा ! कलिधर्म सारसंग्रह -- विश्वेश्वर सरस्वती द्वारा | कलियुगधर्मसार - विश्वेश्वर सरस्वती द्वारा । दो भागों में; प्रथम विष्णुपूजा पर और द्वितीय शिवपूजा, गंगास्नान- फल आदि पर ।
कलियुगधर्माधर्म ।
कलिवज्यंनिर्णय- नीलकण्ठ के ज्येष्ठ भाई दामोदर द्वारा । आचारमयूख में उ० । लग० १६१० ई० । इसमें नारायणभट्ट की मांसमीसांसा, लेखक के पिता की शास्त्रदीपिका टीका, रामचन्द्राचार्य, श्राद्धदीपकलिका आदि का उल्लेख है ( बड़ोदा, सं० १०७९३ ) ।
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कल्पवृक्षदान ।
harस्मृति - पराशरस्मृति व्याख्या एवं गौ० ध० सू० के मस्वरिभाष्य द्वारा उ० ।
story - हेमाद्रि एवं रघुनन्दन ( मलमासतत्त्व एवं
श्राद्धमयूख में) द्वारा उ० । storiचिका ।
काठकगृह्यपरिशिष्ट-- हेमाद्रि एवं रघुनन्दन द्वारा व० । काठकगृह्यसूत्र -- लौगाक्षि द्वारा ( डी० ए० वी० कालेज लाहौर, १९२५, डा० कैलेण्ड, जहाँ तीन टांकाओं से उद्धरण दिये गये हैं) । टी० (भाष्य ) देवपाल (हरिपाल भट्ट के पुत्र) द्वारा। टी० (विवरण) आदित्यदर्शन द्वारा। टी० माववाचार्य के पुत्र ब्राह्मणबल की 'पद्धति' ।
काठकाह्निक- गंगाधर द्वारा ।
काण्व ---- आप ० ध० सू० (१।१९।६) में उद्धृत | कातीयगृह्य- दे० पारस्करगृह्य; संस्कारमयूख में व० । कात्यायनगृह्यकारिका ।
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