Book Title: Dharmshastra ka Itihas Part 3
Author(s): Pandurang V Kane
Publisher: Hindi Bhavan Lakhnou

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Page 539
________________ १५३२ धर्मशास्त्र का इतिहास कुण्डमण्डप-वाचस्पति द्वारा। कुण्डमरीचिमाला--विष्णु द्वारा। राम की कुण्डाकृति कुण्डमण्डपकौमुदी--दे० शिवसूरि की कुण्डकौमुदी। के आधार पर। कुण्डमण्डपचन्द्रिका--विश्वनाथ के पुत्र यज्ञसूरि द्वारा। कुण्डमार्तण्ड---माध्यन्दिन शाखा एवं गौतमगोत्र के कुण्डमण्डपदर्पण-अनन्त के पुत्र नारायण द्वारा; शक गदाधरपुत्र गोविन्ददैवज्ञ द्वारा। ७१ श्लोकों में; सं० १५०० (१५७८ ई०) में प्रणीत ; ४९ श्लोकों १६९१-९२ ई० में जुन्नार में प्रणोत। टो० 'प्रभा', में ; टापर ग्राम में लिखित; पितामह मणौरग्राम वासी पाली (पल्लोपत्तन प्राचीन नाम) में रहने वाले थे। टी० मनोरमा, लेखक के पुत्र गंगाधर द्वारा। सिद्धेश्वर के पुत्र अनन्त द्वारा। ड० का० (पाण्डु कुण्डमण्डपनिर्णय--परशुरामपद्धति से। सं०४३, १८८२-८३); १६९३ ई० में प्रणीत। कुण्डमण्डपनिर्णय---शंकरभट्ट के पुत्र नीलकण्ठ द्वारा कुण्डमार्तण्ड --राम वाजपेयी कृत। सम्भवतः यह 'कुण्ड(स्टीन, पृ० ८६)। मण्डपलक्षण' हो है। कुण्डमण्डपपद्धति। कुण्डमृदङ्ग---गोपाल द्वारा (अलवर, सं०१३०३, उद्धरण कुण्डमण्डपमण्डनप्रकाशिका--नरहरि भट्ट (सप्तर्षि- ३०१)। उपाधि) द्वारा। पीटर्सन (अलवर, सं० ३००) ने कुण्डरचना--टीका भी लिखित है। अन्य को ही सप्तर्षि कहा है, को भ्रामक है। टो० कुण्डरचनारीति--शेषभट्ट के पुत्र बालसूरि द्वारा। लेखक द्वारा। कुण्डरत्नाकर--जगन्नाथात्मज श्रीपति के पुत्र विश्वनाथ कुण्डमण्डपलक्षण--(यह 'कुण्डनिर्माणश्लोक' ही है) द्विवेदी द्वारा; इसमें राम वाजपेयी की 'कुण्डाकृति' राम वाजपेयो द्वारा; सं० १५०६ (१४४९-५० ई०) का उल्लेख है और स्वयं विठ्ठल की कुण्डमण्डपसिद्धि में रत्नपुर के राजा की आज्ञा से प्रणोत। ७४ श्लोकों में व है; ८४ श्लोकों में; तिथि १४५०-१६५१ ई० में। टी० लेखक द्वारा। के मध्य में। टो० लेखक द्वारा। कुण्डमण्डपविधान-- अनन्तभट्ट द्वारा। कुण्डरत्नावलि---कृष्ण (उर्फ बाबू) के पुत्र रामचन्द्र जडे कुण्डमण्डपविधान--नीलकण्ठ द्वारा। द्वारा; शक सं० १७९० में प्रणीत । निर्णय प्रेस में कुण्डमण्डपविधि--गोपाल दीक्षित-पुत्र केशव भट्ट द्वारा। मुद्रित । कुण्डमण्डपविधि--बाबूदीक्षित जड़े द्वारा। कुण्डलक्षण---राम (नैमिषारण्यवासी) द्वारा । सम्भवतः कुण्डमण्डपविधि--राम वाजपेयी द्वारा (सम्भवतः यह यह ‘कुण्डनिर्मागश्लोक ही है। 'कुण्डमण्डपलक्षण' ही है)। कुण्डलक्ष्मविवृति----सूर्यदास के पुत्र राम द्वारा (स्टीन, कुण्डमण्डपविधि--लक्ष्मण देशिकेन्द्र द्वारा। ५० १८६ में रघुदेव); यह 'कूण्डनिर्माणश्लोकटीका कुण्डमण्डपसंग्रह---रामकृष्ण द्वारा। एव 'कुण्डमण्डपलक्षणटीका' ही है; आचारमयूख में कुण्डमण्डपसिद्धि--नीलकण्ठ द्वारा। व०। लगभग १४४९ ई० में। कुण्डमण्डपसिद्धि---(या कुण्डसिद्धि) संगमनेर (अहमद- कुण्डविचार--तत्त्वसार से। नगर जिले) के बूबशर्मा के पुत्र विट्ठलदीक्षित कुण्डविधान--विश्वनाथ द्वारा। द्वारा । शक सं० १५४१ (शशियुगतियिगण्ये) अर्थात् कुण्डशिरोमणि---कुण्डकल्पद्रुम में व०। १६४० ई० के १६१९-२० ई० में प्रणीत । देखिए बी० बी० आर० पूर्व । ए० एस० (पृ० १४१)। टी० लेखक द्वारा ; १८९२ कुण्डश्लोकदीपिका-रामचन्द्र द्वारा। प्रतापनारसिंह में बम्बई में मद्रित । दो० राम द्वारा। (पूर्तप्रकाश) में व०। कुण्डमण्डपहोमविषि। कुण्डश्लोकप्रकाशिका-रामचरण द्वारा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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