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धर्मशास्त्र का इतिहास (बड़ोदा, सं० ८८०९)। यह आनन्दतीर्थ की सदा- आह्निकप्रयोग--महादेव भट्ट के पुत्र मनोहर भट्ट द्वारा चारस्मृति की टी० है।
(हिरण्यकेशियों के लिए)। आह्निकचन्द्रिका--काशीनाथ द्वारा।
आह्निकायोग--रामेश्वर भट्ट के पुत्र माधवात्मज आह्निकचन्द्रिका--कुलमणि शुक्ल द्वारा (यह चन्द्रिका रघुनाथ द्वारा। इसके छोटे भाई प्रभाकर ने सन १५८३ है या चन्द्रिका टोका है ? )।
ई० में १९ वर्ष को अवस्था में रसप्रदीप का प्रणयन आह्निकचन्द्रिका---गोकुलचन्द्र वर्मा के अनुरोध पर किया। लिखित।
आहिकप्रयोगरत्नमाला--वैराज (आधुनिक वाई, सतारा आह्निकचन्द्रिका---गोपीनाथ द्वारा।
जिले) के निवासी मयूरेश्वरभट्ट के पुत्र विश्वम्भर आह्निकचन्द्रिका--रामेशभट्टात्मज महादेव काल के दीक्षित थिटे ने इसे लिखा है। भट्टोजिदीक्षित एर
पुत्र दिवाकर द्वारा। भट्टोजीय (सायण के वैदिक आचारार्क की चर्चा है। मन्त्रों के उद्धरण के साथ निर्णय प्रे० में मुद्रित) का आह्निकप्रायश्चित्त----इसमें कमलाकर वर्णित हैं। उल्लेख है। यह संक्षेपाह्निकचन्द्रिका ही है। (इण्डि० आ०, ३, पृ० ५५५)। आह्निकचन्द्रिका--देवराम द्वारा।
आह्निकभास्कर--इन्द्रगण्टि सूर्यनारायण द्वारा। आह्निकचिन्तामणि--आह्निकतत्त्व में रघुनन्दन द्वारा आह्निकमंजरोटीका---गोदावरी पर पुण्यस्तम्भ (आधु
उ०, अतः यह १५०० ई० के पूर्व लिखित है। निक पुणताम्बे) के निवासी शिवपण्डितात्मज आह्निकतत्त्व या आह्निकाचारतत्त्व-रघुनन्दन द्वारा; हरिपण्डित के पुत्र वीरेश्वर द्वारा। शके वियन्न
जोवानन्द द्वारा मुद्रित । टी० मधुसूदन द्वारा। रशरेन्दुमिते, अर्थात् सन् १५९८ ई० में आह्निकदर्पण--रामकृष्ण कृत (बम्बई में मराठी अनुवाद रचित। प्रकाशित, १८७६)।
आह्निकरन--(प्रति दिन के कर्मों पर)। आह्निकदीपक-अनन्त-लक्ष्मीधर-गोविन्द-- आह्निकरत्न-दाक्षिणात्य शिरोमणिभद्र द्वारा। तीन
वत्सराज के वंशज आनन्दपुरनिवासी अचल प्रकाशों में। द्वारा। लग० १५१८ ई० । दे० अलवर, सं० २९१। आह्निकरत्नचषक--गंगाधरसुत द्वारा (बड़ोदा, सं० आह्निकदीपक--शिवराम द्वारा। दे० आह्निक- १२३०६-७)। संक्षेप।
आह्निकविधि--कमलाकर द्वारा। आह्निकपद्धति --विट्ठलदीक्षित द्वारा। देखिए 'यजु- आह्निकविधि-नारायण भट्ट द्वारा। वल्लभा'।
आह्निकसंक्षेप-कौथुमिशाखा का। आह्निकपारिजात-अनन्तभट्ट द्वारा।
आह्निकसंक्षेप-ज्ञानभास्कर का। आह्निकप्रकाश--वीरमित्रोदय से।
आह्निकसंक्षेप-वामदेव द्वारा; लाला ठक्कुर के लिए आहिकप्रदीप--कमलाकर द्वारा उ०।
लिखित। आहिकप्रयोग-गोदावरी पर कूपरग्राम के कमलाकर आह्निकसंक्षेप-शिवराम द्वारा। वैद्यनाथ के आह्निक
द्वारा। बड़ोदा की सं० २७७ में कुछ सन्देह है। का संक्षेप । आहिकप्रयोग--सदाशिव दीक्षित के पुत्र काशीदीक्षित आह्निकसंग्रह----यज्ञभट्टात्मज नागेशभट्ट के पुत्र अनन्त
द्वारा। रुद्रकल्पद्रुम में अनन्त ने उद्धरण दिया है। भट्ट द्वारा। शुक्लयजुर्वेदियों के लिए। आहिकप्रयोग--गोवर्धन कविमण्डन द्वारा (आप- आह्निकसार---दलपतिराज द्वारा (द्वितीय अध्याय स्तम्बियों के लिए।
नृसिंहप्रसाद का है)।
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