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धर्भशास्त्रीय प्रन्यसूची एस्. कैट०, जिल्द २, पृ० २०२। टी. विष्णुगूढ- की ओर संकेत। हेमाद्रि एवं माधवाचार्य द्वारा स्वामी द्वारा, देवस्वामी, नारायण आदि का उ०। अनुसरण हुआ है।
आहिताग्निमरणे दाहादि-रामेश्वरभट्ट के पुत्र भट्टआश्वलायनगृह्यकारिका--२२ अध्यायों एवं १२९६ नारायण द्वारा, दे० प्रक० १०२। श्लोकों में । टो० विवरण, वुष्यदेव या आहिताग्नेहादिनिर्णय--विश्वनाथ होसिंग के पुत्र उपदेवभद्र के शिष्य द्वारा। टी० नारायण रामभट्ट द्वारा। द्वारा।
आहिताग्न्यन्त्येष्टि प्रयोग। आश्वलायनगृह्यकारिका---कुमारिलस्वामी (? कुमार- आहृततीर्थकस्नान प्रयोग। स्वामी) द्वारा। आश्वलायनगृह्य पर नारायणवृत्ति आह्निक--बहुत-से ग्रन्थ इस नाम के हैं। कतिपय नीचे एवं जयन्तस्वामी की ओर संकेत। बी० बी० दिये जाते हैं। आर० ए० एस०, जिल्द २, पृ० २०३ (बम्बई में आह्निक--दशपुत्रकुल के प्रभाकर-पुत्र आनन्द द्वारा। मुदित, १८९४)।
आह्निक---आपदेव द्वारा। आश्वलायनगृह्यकारिका--रघुनाथ दीक्षित द्वारा। आह्निक-रामकृष्ण के पुत्र कमलाकर द्वारा। दे० आश्वलायनगृह्यकारिकावली-गोपाल द्वारा । प्रक० १०६, यह 'बह्व चाह्निक' ही है। आश्वलायनगृहापरिशिष्ट--(निर्णय० प्रे० एवं बिब्लि० आह्निक--गंगाधर द्वारा। __ इण्डि० द्वारा मुद्रित)।
आह्निक---गोपाल देशिकाचार्य द्वारा। आश्वलायनगृह्यपरिभाषा।
आह्निक----छल्लारि नृसिंह द्वारा, मध्वाचार्य के अनुआश्वलायनगृह्यप्रयोग।
यायियों के लिए। आश्वलायनगृहोक्तवास्तुशान्ति-रामकृष्ण भट्ट द्वारा। आह्निक-ज्ञानभास्कर द्वारा। इसने आह्निक-संक्षेप आश्वलायनधर्मशास्त्र---द्विजों के कर्मों, प्रायश्चित्त, भी लिखा है। जातिनिर्णय आदि पर २२ अध्याय (बड़ोदा, सं० आह्निक--दिवाकर भट्ट द्वारा। ८७०८)।
आह्निक-बलभद्र द्वारा। आश्वलायनपूर्वप्रयोग-(हुल्श, सं० ४३१)। आह्निक-भट्टोजि द्वारा (चतुर्विंशतिमत-टीका आश्वलायनप्रयोग-टी० विष्णु द्वारा, वृत्ति। माश्वलायनप्रयोगवीपिका-तिरुमलयज्वा के पुत्र तिरु- आह्निक--माववभट्ट के पुत्र रघुनाथ द्वारा। मल सोमयाजी द्वारा।
आह्निक-विट्ठलाचार्य द्वारा। आश्वलायनयाजिकपति।
आह्निक--(बौधायनीय) विश्वपतिभट्ट द्वारा। माश्वलायनशाखाबप्रयोग--रामकृष्णात्मज कमलाकर आह्निक--वैद्यनाथ दीक्षित द्वारा।
आह्निक--व्रजराज द्वारा (वल्लभाचार्य के अनुयायियों आश्वलायनसूत्रपति-नारायण द्वारा।
के लिए)। आश्वलायनसूत्रप्रयोग---विद्यवृद्ध द्वारा।
आह्निककारिका। आश्वलायनसूत्रप्रयोगदीपिका--मञ्चनाचार्यभट्ट द्वारा आह्निककृत्य--विद्याकर कृत ; रघुनन्दन के मलमासतत्त्व (बनारस सं० सोरीज़ में मुद्रित)।
में व०, अतः १५०० ई० के पूर्व । आश्वलायनस्मृति-~-११ अध्यायों एवं २००० श्लोकों आह्निककौतुक-(हरिवंशविलास से)। में। आश्वलायनगृह्यसूत्र, उसकी वृत्ति एवं कारिका आह्निककौस्तुभ--यादवाचार्य के शिष्य श्रीनिवास द्वारा
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