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संकेत परिचय
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या कैटलॉग में दो, तीन या अधिक नाम रखता है। कतिपय ग्रन्थों के रचयिताओं और उनके पिताओं के नाम समान ही हैं, यथा--महादेव के पुत्र दिवाकर एवं नीलकण्ठ के पुत्र शंकर के विषय में। कहीं-कहीं कुछ विशाल ग्रन्थों के कतिपय भाग कैटलॉगों में पृथक् नामों से व्यजित पाये गये हैं। कुछ लेखकों के कई नाम भी पाये गये हैं, यथानरसिंह, नृसिंह; नागेश एवं नागोजि । यथासंभव ऐसे भ्रमों को दूर करने का प्रयत्न किया गया है। प्रत्येक विषय में कैटलॉगों (संग्रहों) की ओर संकेत नहीं किया गया है, केवल अति महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों के विषय में ही कैटलागों की ओर संकेत किया गया है। यथासम्भव कालों की ओर भी संकेत कर दिये गये हैं। डा० ऑफेरूट की कृति से यह तालिका कई अंशों में उत्तम है, यह बात तुलनात्मक अध्ययन के उपरान्त ही समझी जा सकती है।
यथासम्भव मुद्रित ग्रन्थों की ओर भी संकेत कर दिया गया है। ऐसा करने में बाम्बे संस्कृत सीरीज, बनारस संस्कृत सीरीज आदि के संस्करणों का उल्लेख किया गया है, उन संस्करणों की ओर, जिन्हें बहुत ही कम लोग देख सकते हैं, संकेत नहीं किया गया है। जो लोग इस विषय में विशद सूचना चाहते हैं, वे सन् १९२८ तक के कैटलाग (ब्रिटिश म्यूजियम लाइब्रेरी द्वारा प्रकाशित) देख सकते हैं।
निर्देश आरम्भ में जो संकेत दिये जा चुके हैं, उनके अतिरिक्त निम्न संकेत भी अवलोकनीय हैंअलवर डा० पेटर्सन द्वारा प्रस्तुत महाराज अलवर की लाइब्रेरी का कैटलॉग आव मैनुस्क्रिप्ट्स। अज्ञात-जिनके नाम ज्ञात नहीं हैं। आनन्द०=आनन्दाश्रम प्रेस (पूना) द्वारा प्रकाशित स्मृतियों का संग्रह । ऑफेस्ट या ऑफे०=डा० ऑफेल्ट द्वारा उपस्थापित कैटलॉग आव संस्कृत पाण्डुलिपीज़, आक्सफोर्ड की बॉडलीन ___ लाइब्रेरी (१८६४ ई०)। उ०=उद्धृत। के० सं० प्रा०-कैटलॉग आव संस्कृत एण्ड प्राकृत मैनुस्किट्स इन दि सेण्ट्रल प्रॉविसेज एण्ड बरार। रायबहादुर
हीरालाल (१९२६), नागपुर। गाय० या गायकवाड़-गायकवाड़ ओरिएण्टल सीरीज, बड़ोदा। गवर्नमेंट ओ०सी० या ग० ओ० सी०=गवर्नमेण्ट ओरिएण्टल सीरीज, पूना। पौ० या चौखम्भा=चौखम्भा संस्कृत सीरीज, वाराणसी। जी० स्मृ० या जीवा०=जीवानन्द द्वारा सम्पादित एवं दो भागों में प्रकाशित स्मृतियों का संग्रह। टी० या टीका-उस ग्रन्थ की टीका। .टी०टी०=टीका की टीका।। दे० देखिए (इसके आगे 'प्रकरण संख्या अमुक' का निर्देश है, उसे प्रथम खण्ड-वर्णित प्रकरण-संख्या में देखना चाहिए)। नोटिसेज या नो०=डा. राजेन्द्रलाल मित्र (जिल्द १-९) एवं म० म० हरप्रसाद शास्त्री (जिल्द १०-११)
द्वारा उपस्थापित नोटिसेज आव संस्कृत मैनुस्क्रिप्टस् इन बेंगाल, (जिल्द १-११) । नो० न्यू०म० म० हरप्रसाद शास्त्री द्वारा, नोटिसेज आव संस्कृत मनुस्क्रिप्ट्स्, न्यू सीरीज (जिल्द १-३) । निर्णय. या नि०=निर्णयसागर प्रेस, बम्बई। . प्रक०-प्रकरण।
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