Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
View full book text
________________
आंगिरस्
३. श्रावण माह के इन्द्र नामक सूर्य के साथ घूमने• वाला ऋषि (भा. ४. १३; ह. वं. १. १८ ) । ४. एक पितृगण ।
प्राचीन चरित्रकोश
अचल - शकुनि का भाई यह युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में था ( म. स. ३१. ७) । यह महाभारत के युद्ध में अर्जुन के हाथ से मारा गया ( म. द्रो. २९. ११-१२ ) । . यह एकरथ था ( म. उ. १६५. १९ शकुनि देखिये ) ।
२. (सो. वसुदेव. ) वायु के मतानुसार वसुदेव का मदिरा से उत्पन्न पुत्र |
३. ( मगध. भविष्य . ) मस्य के मतानुसार महीनेत्र का
पुत्र ।
भच्छावाक् क्रतु--ब्रह्मदेव के पुष्कर तीर्थ के यज्ञ का होतृगणों का एक ऋत्विज (पद्म. सृ. ३४ ) ।
अच्छोदा - बर्हिषद पित्तरों की मानसकन्या । अग्निवात पितरों की कन्या ( ह. वं. १.१८. २६ - २७ ) । इससे अच्छोद सरोवर बना । इसने अनजाने पितरों में से अमावसु को वरण किया; इसलिये यह योगभ्रष्ट हुई तथा द्वापारयुग में अमावस की कन्या हुई ( ब्रह्माण्ड ३.१०. ५४–६४, म. आ. ७; परि. १. ३४. पंक्ति १४, २५, · मत्स्य. १४.३–७ ) । आगे चल कर यही सत्यवती हुई। अच्युत - विभिदुकीयों ने किये सत्र में यह प्रतिहर्ता का काम करता था (जै. ब्रा. ३. २२३ ) ।
अजमीढ
९. एक ऋषि । इसके कुल में धनंजय, कपर्देय, परिकूट तथा पाणिनि ऋषि हुए ( विश्वामित्र देखिये) । १०. तुषित देवगणों में से एक ।
११. इसकी लड़की पृश्नि ( जंतुधना तथा शंड देखिये ) | १२. धर्म तथा मुहूर्ता का पुत्र ।
अज - (सू. इ. ) राजा रघु का पुत्र तथा दशरथं का पिता । पद्मपुराण में रघु का पौत्र तथा दिलीप द्वितीय का पुत्र (पद्म ८ ) । अजा अर्थात् बकरी पालने के कारण, - इसे अज - नामांतर प्राप्त हुआ । इसने भैरवी का पूजन कर के सुख और ऐश्वर्य प्राप्त किया। उस भैरवी को जातपाश्वरी कहने लगे ( स्कंद. ७. १. ५८ ) । इसका पुत्र दीर्घबाहु तथा उसका पुत्र दशरथ ( पद्म. सृ. ८ ) ।
२. प्रतिहर्ता को स्तुती से उत्पन्न दो पुत्रों में से ज्येष्ठ पुत्र । इसका भाई भूमन् (भा. ५. १५. ५ ) ।
अज एकपाद् - यह अग्नि है | दुर्गाचार्य इसका अर्थ 'सूर्य' ऐसा लेते हैं (नि. १२.२९ ) । इसका निवासस्थान स्वर्ग है (नि. ५.६ ) । इसे पेयनिषेक दिया जाता है ( पा. गृ. २.१ ५.२ ) । यह एकादश रूद्रों में से एक है । अजक - दनुपुत्र दानव ( स्कंद. ३.२.८ ) ।
२. (सो. अमा.) बलाकाश्व का पुत्र । इसका पुत्र कुश अथवा कुशिक । भागवत तथा वायुमत में सुहोत्रपुत्र तथा विष्णुमत मे यह सुजंतु का पुत्र है ।
३. (सू. इ. ) मत्स्य मत में दिलीप का पुत्र । यह नाम अज के लिये आया है ।
४. ( प्रद्योत . भविष्य . ) विशाखयूपा का पुत्र । अजकर्ण - मय और रंभा का पुत्र । अजगंधा- कश्यप तथा मुनि की कन्या । यह अप्सरा थी ।
अजन - तेरह सैंहिकेयों में से एक असुर ( सैंहिकेय देखिये) ।
अजब - वायु तथा ब्रह्मांड मत में व्यास के सामशिष्य परंपरा का हिरण्यनाभ का शिष्य ( व्यास देखिये) ।
अजबिंदु - सौवीर देश का राजा । लोभ के कारण इसका नाश हुआ (कौ. अ. ६ ) ।
अजमीढ - ( सो. पुरु. ) विकुंठन तथा दाशार्ही सुदेवा का पुत्र । उस को कैकेय्सी, नागा, गांधारी, विमला तथा ऋक्षा आदि पत्नीयाँ थी । इसको २४०० पुत्र हुए। उन मे वंश चलाने वाला संवरण था । संवरण- वैवस्वती तपती का पुत्र कुरु । (म. आ. ९०.३८-४० ) ।
२. (सो. पूरु ) सुहोत्र और ऐक्ष्वाकी का ज्येष्ठ पुत्र । इसकी पत्नी के नाम धूमिनी, नीली और केशिनी । धूमिनी का तथा ऋक्ष, नीली के दुःषन्त तथा परमेष्ठिन् केशिनी के जल, जन तथा रूपिन ऐसे पुत्र थे। ये सब पांचाल थे ( म.
३. (सू. निमि.) ऊर्ध्वकेतु जनक का पुत्र पुरुजित् जनक का पिता ।
४. (सो. पुरूरवस्. ) विजयकुल में बलाकाश्व राजा का आ. ८९. २६-२९ ) । पुत्र । इसका पुत्र कुश अथवा कुशिक ।
५. पांडव पक्षीय एक महारथी ( म. उ. १६८.१२ ) । ६. दाशराज्ञ युद्ध में सुदास का शत्रु (ऋ. ७. १८.१९ ) । ७. सुरभि तथा कश्यप का पुत्र ।
८. उत्तम मनु का पुत्र ।
वायुमें हस्ति के तीन पुत्रो में इसे ज्येष्ठ कहा हैं । इसकी नीलिनी, धूमिनी और केशिनी तीन पत्नियाँ थीं। इसका वंश चलाने वाले तीन पुत्र थे । उनके नाम ऋक्ष, बृहदिषु (बृहद्वसु ) और नील | बृहदिषु से अजमीढ वंश प्रारंभ होता है । ( वायु. ९९. १७० )
१३