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वीर-सेवामन्दिर में वीर शासन-जयन्ती
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उत्सव सानन्द सम्पन्न
ता०२२ को प्रात.काल ८ वजे वीरसेवामन्दिर भवन २१ दरियागज में गत वर्षों की भाति इस वर्ष भी वार शासन जयन्ती का उत्सव रा.ब. लाला दयाचन्द जी और बाबू यशपाल जी जैन सम्पादक जीवन साहित्य का अध्यक्षता में सानन्द सम्पन्न हया। वीरशामन की महत्ता पर विद्वानो के भाषण हए और जैन बालाधम क छात्रा क दो उपदेशिक पद हए । तथा महिलाथम की छात्रानो का एक सुन्दर भजन हुआ। भापणकता विद्वाना' शास्त्री, ५० जयन्तीप्रमाद जी, ला. प्रेमचन्द जी जनावाच, प० मथरादाम जी, बा० विमलप्रमाद जी पहाडीधीरज और बाबू यशपाल जी के महत्वपूर्ण भाषण हए। बा विमलप्रमाद जी ने अपने भाषण में कहा कि जब तक हमारी दृष्टि नही बदलेगी तब तक हम धर्म के वास्तविक रहस्य को नही पा सकेंगे। बाह्य क्रियाकाण्डो मे मलग्न रहकर हम पर्म के स्वरूप तक नहीं पहुंच सकते । प्रत दृष्टि का बदलना अत्यन्त प्रावश्यक है। वा० यशपाल जाने अपने
पक्षीय भाषण में भगवान महावीर के अपरिग्रह पर प्रकाश जाली हा महत्मा टालस्टाय का ६ गन जमान न कहानी का सार बतलाया और कहा कि महावीर का यह गिद्धान्त किनना मावण है टमका जीवन में अमल कर। पर प्रात्मा वास्तविक शान्ति का पात्र बन सकता है। इग तहमभी भाषण रोचकहए। अन्त में बा० प्रमचन्द मा गे ममागत मज्जनो का आभार व्यक्त किया, और वीरशामन की जयहनि पूर्वक उन्मव गमाप्त हुमा।
प्रेमचन्द जैन म. मत्री वीरसवामन्दिर
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अंतरिक्ष पार्श्वनाथ पवली दिन मन्दिर शिरपुर के गर्भगृह के सामने का चूने का प्लास्टर खोदने ममय
ता० ६-३-६७ को जो ११ प्रखंडित दि० मतियां मिली उनका सित्र ऊपर दिया गया है।