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अग्रवालों का जैन संस्कृति में योगदान
(गत वर्ष १६ कि. ५ से प्रागे)
परमानन्द जैन शास्त्री
अग्रवाल जैन समाज के प्रमेक व्यक्तियों ने राष्ट्रीय समाज के सम्माननीय व्यक्ति है। उनमें धार्मिकता विनय क्षेत्र मे जो अपनी सेवाये प्रदान की है। उनमें से कुछ शीलता और उदारता प्रादि गुग विद्यमान है। उनके द्वारा व्यक्तियों के नाम उल्लेखनीय है। बाबू श्यामलाल जी की जाने वाले तीर्थ रक्षा और प्राचीन मन्दिरो का जीणोंएडवोकेट गेहतक ने कांग्रेस में बड़ा भारी कार्य किया है। द्वार कार्य, जैन प्राकृत विद्यापीठ, ये सब क.यं उनकी उन्होंने अनेक बार जेल यात्रा की और अपने भापरणों महत्ता और मौदार्य के सूचक हैं। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा जनता मे काग्रेस के प्रति दृढ प्रास्था उत्पन्न की। उनकी महत्वपूर्ण प्रकाशन संस्था है प्रापकी धर्मपत्नी उनका भाषण अच्छा और प्रभावक होता था। बाबू श्रीमती रमारानी भी धार्मिक, साहित्यिक कार्यों में भाग मुमनिप्रसाद जी वकील मुजफर नगर, बाबू रतनलाल जी लेती रहती है। और भारतीय ज्ञानपीठ की अध्यक्षा वकील बिजनोर ये दोनो वकील भूतपूर्व एम. एल. है, जो है। समाज को आप दोनों से बहुत प्राशाएँ है। अपने कर्तव्य पालन मे सदा सावधान रहते है। और मापके सुपुत्र प्रशोककुमार और प्रलोकप्रकाश भी सामाजिक कार्यों में सहयोग देते रहते है। बाबू अजित- धार्मिक कार्यों में योग देते रहते है। इस तरह माप का प्रसाद जैन वकील सहारनपुर जो खाद्यमत्री भी रहे है। समूचा परिवार धार्मिक भावना से प्रोत-प्रोत है। आप अयोध्याप्रसाद गोयलीय और लाला तनसुखराय मादि। का जैन समाज की प्राय. सभी सस्थाग्रो में आर्थिक योगस्वराज्य मिलने के बाद भी अनेक व्यक्ति राष्ट्रसेवा मे दान देना, सन्तो की सेवा में समुपस्थित रहना और प्रपने बहुमूल्य जीवन लगाते रहे है।।
सामाजिक तथा धार्मिक कार्यों मे तत्परता दिखलाना, खतौली जि० मुजप्फरनगर के सेठ माडेलाल ने खतौली
सराहनीय है। जहां माप उद्योगपति है वहा योग्यविचारक के दस्सों को धार्मिक श्रद्धा को कायम रखने के लिये तथा धार्मिक निष्ठावान है। परोपकारी और विनयशील अपना सर्वस्व होम दिया, तब कही उनका स्थितिकरण है। वीरसेवामन्दिर पर पापका विशेष अनुग्रह है। साहु हो सका। वे विपदा के समय भी अपने धैर्य का सतुलन
धेयान्सप्रसाद जी की तरह साह शीतलप्रसाद जी भी बराबर रख सके यही उनकी महानता है।
धार्मिक तथा सामाजिक कार्यों में मभिरुचि लेते रहते है । इस समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में अनेक व्यक्ति
पौर अपनी उदारवृत्ति द्वारा उनमे सहयोग प्रदान कर ऐसे हुए है जिन्होंने धर्म प्रौर सस्कृति के संरक्षणार्थ अपने उनकी प्रगति का प्रयत्न करते रहते हैं। कर्तव्य का निष्ठा के साथ पालन किया है और कर रहे
कलकत्ता के सेठ रामजीवन सरावगी और उनका
कर हैं । साह खानदान में साहसले खचन्द जी, साह जगमन्दिर परिवार तथा पुत्रादि अपने पिता के अनुकूल धार्मिक दाम जी, साहु श्रेयान्सप्रसाद जी भोर श्रावक शिरोमणि भावना का उद्भावन कर रहा है। उनके पुत्रों में सबसे साह शान्तिप्रमाद जी प्रादि के नाम खास तौर से उल्लेख- अधिक लगन बाबू छोटेलाल जी में थी। पुरातत्व और नीय है। मह श्रेयान्सप्रसाद जी का धार्मिक, सामाजिक जैन साहित्य के प्रचार मे उनका सराहनीय सहयोग रहा प्रादि सभी कार्यों में सहयोग रहता है। राजनैतिक कार्यों है। वे केवल धार्मिक संस्थानों में स्वय दान देते और में भी योग रहा है । वतमान मे साहू शान्तिप्रसाद जी इस दिलाते ही नहीं थे; किन्तु उनकी प्रगति मे सब तरह का