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अनेकान्त
निषेधात्मक सम्बन्ध है। २ (ख) मे पक्ष और साध्य के तर्कशास्त्र (Formal Logic) की कसौटी पर कसे, तो मध्य भावात्मक और दोनों का हेतु के साथ निषेधात्पक हम पाएगे कि वे वस्तुतः एक ही प्रकार के तर्क हैं, और सम्बन्ध है।
उनकी तात्विकता में कोई भेद नही है। हम उन्हें प्राकारी इससे अब ये नियम निकलते है, कि
तर्क की भाषा में निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते है :१. उपलब्धि हेतु का पक्ष के साथ धनात्मक (भावात्मक) १ (क) सभी धम्रावस्थाए अग्नि की अवस्था है. Map सम्बन्ध होता है।
पर्वत पर धूम्रावस्था है; SaP २. अनुपलब्धि हेतु का पक्ष के साथ ऋणात्मक (निषेधा
.:. पर्वत पर अग्न्यावस्था है। :: SaP (Barbara) स्मक) सम्बन्ध होता है।
१ (ख) कोई धूम्रावस्था शीतावस्था नहीं है; MaP ३. अविरुद्ध हेतु का साध्य के साथ धनात्मक (संगतिपूर्ण) सम्बन्ध होता है।
पर्वत पर धूम्रावस्था है;
SaM . ४. विरुद्ध हेतु का साध्य के साथ ऋणात्मक (प्रसंगति
पर्वत पर शीतावस्था नहीं है। .:. SeP (PEशत पूर्ण) सम्बन्ध होता है।
को अग्न्याभाव मानते हुए) इस प्रकार हेत्वनुमान के त्रिकोणीय संबंध में उपर्युक्त
(Celarent) प्रकार से दो भजामों का निर्णय पूरा हो गया। यथा- २(क) कोई अन्याभाव धुम्रावस्था नहीं है, PaM हेतु पोर पक्ष, तथा हेतु और साध्य के बारे में। अब शेष
पर्वत पर प्रग्न्याभाव है।
SaP भुजा रहती है पक्ष प्रौर साध्य की, जो उपर्युक्त दो
.. पर्वत पर धूम्रावस्था नहीं है। .:. SaM भुजामों की स्थिति से निश्चित होती है, अथवा जिसके
(Celarent) नियम उपयुक्त नियमों से निगमित होते है। यह निगमन गणित के मीधे और सरल नियमों के प्राधार पर बड़ी
२ (ख) सब अग्न्याभाव शीतावस्थाए है; PaM पर्वत पर अन्याभाव है।
SaP मासानी में किया जा सकता है। गणित मे धन-धन के
:. पर्वत पर शीतावस्था है। .:. SaM (ME शीत समुच्चय का परिणाम धन, धन-ऋण के समुच्चय का
को धूम्राभाव मानते हुए) परिणाम ऋण तथा ऋण ऋण के समुच्चय का परिणाम
(Barbara) धन होता है। हमने हेतु संबंध के उपर्युक्त चार नियमो में उपलब्धि को "+", अनुपलब्धि को "-", अविरुद्ध को उपयुक्त उदाहरणों को देखने से बिल्कुल स्पष्ट है कि "+" और विरुद्ध को "--" मान्य किया है। प्रत. चारों हेत्वनुमानों के साध्यवाक्य (Mayor premise) गणित के सर्वमान्य नियम के अनुसार :
बिल्कुल एक ही है। १ (क) के साध्यवाक्य का प्रति१. उपलब्धि (+) अविरुद्ध (+) हेतु से निष्कर्ष धना- वर्तित वाक्य (Obverse proporition)। १ (ख) का __स्मक होगा; [यथा-पर्वत पर अग्नि है-१(क)] साध्य वाक्य है। १ (ख) के साध्य वाक्य का परिवर्तित २. उपलब्धि (+) अविरुद्ध (-) हेतु से निष्कर्ष (Converse Proposition) और १ (क) का परिप्रति
ऋणात्मक होगा; [यथा-पर्वत पर शीत नहीं है-१(ख)] वर्तित वाक्य (Contrapositive) २ (क) का साध्य ३. अनुपलब्धि (-)मविरुद्ध (+) हेतु से निष्कर्ष ऋणा- वाक्य है, तथा २ (क) के साध्यवाक्य का पूर्ण परिप्रति
त्मक होगा; (यथा पर्वत पर अग्नि नहीं है-२(क)] वर्तित (Complete contrapositive) वाक्य २ (ख) ४. अनुपलब्धि (-) विरुद्ध (-) हेतु से निष्कर्ष धना- माध्यवाक्य है । यथात्मक होगा; यथा-पर्वत पर शीत. है-२(ख)]
MaPE MEP (Obvdrse) १-(ख) हेत्वनुमान का प्राकारी निर्वचन
" : " (Incomplete contrapositive)२.क अब हम यदि उपयुक्त चारों हेत्वनमानों को माकारी MaPa PaM (Complete contrapositive) २-ख