________________
एलिचपुर के राजा श्रीपाल उर्फ ईल
२५३
सिर्फ अभी उनके निश्चित समय नथा स्थान और इसको राजा ने एकदम नकार दिया । बाद में राजा को कार्यक्षेत्र पर अधिक प्रकाश पड़ना चाहिए।
पूछा गया कि माप अगर विजयी होते तो क्या करते? (२) अब राजा श्रीपाल के गजब का धर्मप्रेम तथा राजा ने उत्तर दिया कि “मै अब्दुल रहमान को वीर और अभिमानी मृत्यु प्रसग का ज्ञान पठक गण को उडा देता। तीक्ष्ण शस्त्रों से उसकी चमडी (खाल)निकालकगते है । यह वार्ता प्रमगवती जिला गजेटियर में उल्ले- कर उसको जला देता। किसी भी तरह का समय न लगाते खित मुसलमानी कथा के अनुमार इस तरह है। हुए इसी तरह की शिक्षा राजा को देने की अब्दुल रहमान
"किसी एक समय एक मूमलमानी फकीर एलिचपुर ने आज्ञा दी और उसको एक प्रमुख नरक में भेज दिया। के गजा ईल के दरबार में पहुँचा, पीर उमन राजा को घटना का समय हिजरी सन् ३९२ याने १००१-२ सन् इम्लाम धर्म स्वीकाग्ने को कहा तथा धर्म प्रचार की अनु- ईस्वी है। अब्दुल रहमान गाजो के अनुयायी, जिन्होने मति मागी। राजा ने उमको परत जाने को कहा। लकिन राजा ईल को पकडा था, साधारणत पचपीर या पचपीर उसके हठ के कारण उसके हाथ कटवा दिए।
के नाम से प्रसिद्ध थे।" आदि । फकीर ने भारत छोड़ा और अपनी दैन्यावस्था शाह गजेटीयर के अन्त में लिखा है कि, जनश्रुति के अनुअब्दुल रहमान के मामने रखी। रहमान उम ममय गजनी सार इस गाजी का सिर उड़ा दिया गया है। में था, और वह वहा के गजा महमद का भाजा था। उस
यह है एक शहीद की पुण्य गाथा, जो खुद मुसलमान समय उमकी शादी का उत्सव मनाया जा रहा था। फकीर खाने रमको प्रमर बनाने के लिा जिवी रा? की वह करण दशा देखकर उसका धर्मप्रेम जाग उठा और गजनी में । कहते है कि उम पर मे 'तवारीब-ई-प्रमजीदया' उसने वह ममारभ बाजु रम्बकर एकदम कित्येक हजार नाम की एक छोटी पुस्तिका पारसी में एलिचपुर के खतीफ मैनिको के माथ बेगर (विदर्भ) की ओर चल पड़ा। ने प्रकाशित की थी। उसके माथ उसकी माता बीबी मलिका-ई जहान भी थी। यहा ऊपर की कथा में एक अमम्भव बात बताई गई
उम ममय उत्तर भारत में वकद (Vakad) (बरला है कि अब्दुल रहमान ने अपना सिर कटा लेने पर भी यह शिलालेख के अनुसार जिसका नाम उछद बकल था। जीवित रहा, तथा उसने ईल राजा को भी हगया । गजा राज्य करता था। इसको एक समय ईल राजा ने इमके सत्यामत्य के लिए श्री यादव माधव काल केपगभूत किया था वह अब्दुल रहमान को मिल गया याने 'कहाडचा इतिहास' के लेख का उल्लेख देख ना उचित उसकी इस युद्ध में सहायता की। यह अाक्रमण का हाल है पृष्ठ ७१ पर. गाजी रहमान दुल की और ईल गजा सुनते ही ईल राजा ने सेनापति को उसका प्रतिकार की लडाई हुई। उसमे गजा ईल सौर शाह रहमान दोनो करने को ससैन्य भेजा । दोनो सेनाप्रो की भेंट बेग्ला में ही पड़े । इस लड़ाई में मुसलमानो के ग्यारह हजार सैनिक हुई जो वैतूल जिले में है। प्रारम्भ में मुसलमानो की हार खर्ची पड़े। उन मबको एक जगह गाड दिया गया है। होने लगी। इतने में आकाशवाणी हुई, उममे अब्दुल उम पर एक बड़ा इमाला बधाया है। उनको 'गजशहीदा' रहमान ने उत्तेजित होकर शिर कटा लिया और लड़ने कहते है । दुल रहमान की बडी कबर हाल में ही एलिचलगा। इससे उसके मैनिक भी उत्तेजित होकर लडने पुर में मौजूद है। उमके वर्चा के लिए काइली' यह गाव लगे। उन्होंने हिन्दुओ को लूटा और एलिचपुर तक पीछे अभी तक जहागीर है। यह जहागीर एलिचपुरके नवाब नही देखा।
ने दी है । दुल रहमान गाजी की कबर प्रथम अलाउद्दीन
खिलजी ने बधायी थी। हाल की इमारत बाद में की है। बहा फिर खुद राजा ईल से सग्राम हुआ, वहा भी ।
नजदीक ही ईल गजा का गाड दिया है।' प्रादि । ईल पराभूत हुमा और उसने शहर का आश्रय लिया। उसको पकडकर अब्दुल रहमान के सामने लाया गया। ऊपर के उल्लेख से यह तो स्पष्ट हुआ कि रहमान अब्दुल रहमान ने उसको इस्लाम धर्म स्वीकारने को कहा, गाजी इस लड़ाई मे माग गया था। तथा खेरला के पास