Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सूत्रकृताङ्गसूत्रे ___ अन्वयार्थः - (एवं) एवमुक्तपकारेण (निमंतण) निमंत्रणमामंत्रणं (ल ) लब्ध्वा (मुच्छिया) मूच्छिताः (इत्यीसु गिद्धा) स्त्रीषु गृद्धा-गृद्धिमाक्मागताः (कामेहि) कामैः (अशोववन्ना) अध्युपपनाः (चोइज्जंता) नोद्यमानाः (गिह) गृह (गया) गता इति ॥२२॥
टीका--'एवं' एवम् पूर्वोक्तप्रकारेण, राजाऽमात्यब्राह्मगादिमिः । 'निमंतणं' निमन्त्रणम्-अनुकूलपरीषहरूपभोगभोगाय 'लवु लब्ध्वापाप्य 'मुच्छिया' _ 'एवं निमंतणं लधु' इत्यादि ।
शब्दार्थ--एवं-एवम्' पूर्वोक्त प्रकार से 'निमंतणं-निमंत्रणम्' अनुकूल परीषहरूपी भोग भोगने के लिए आमंत्रण 'लढुं-लब्ध्वा' पाकर 'मुच्छिया-मूच्छिताः' काम भोगों में आसक्त 'इत्थीसु-गिद्धा' स्त्रिषु गृद्धाः स्त्रियों में आसक्ति वाले और 'कामेहि-कामैः' काम भोगों में अज्झोववन्ना-अध्युपपन्नाः' दत्तचित्त पुरुष 'चोइज्जंता-नोधमाना' संयम पालने के लिये आचार्य आदि के द्वारा प्रेरित करने पर भी 'गहगृहम्' घर को 'गया-गताः' चले जाते हैं ॥२२॥
अन्वयार्थ-इस प्रकार आमंत्रण पाकर मोहग्रस्त होकर स्त्रियों में एवं कामभोगों में आसक्त बने हुए कई कायर साधक संयम पालन की प्रेरणा पाकर भी पुनः घर लौट गए हैं ॥२२॥
टीकार्थ-पूर्वोक्त प्रकार से राजा, अमात्य, ब्राह्मण आदि के द्वारा अनुकूल परीषहरूप भोग भोगने का निमन्त्रण पाकर मोहग्रस्त बन
'एवं निमंतणं लटुं' त्या
शा---एवं-एवम् पूर्वरित थी 'निमंतण-निमंत्रणम्' मनु परीष ३५ी मम गवाना माटे मात्र 'लढुं-लब्ध्वा' पाभीने 'मुच्छिया -मर्छिताः' मागोमा भासत 'इत्थीसु गिद्धा' स्त्रिषु गृद्धाः रियामा मासरिता भने 'कामेहि-कामैः' आमनागोमा 'अज्झोववन्ना-अध्युपपन्नाः' इत्तयित्त ५३५ 'चोइज्जंता-नोद्यमानाः' सयम पाणवाना भाटे माया मेरे द्वारा प्रेरित ४२३॥ छत्ता ५ 'गिह-गृहम्' घरे ‘गया-ताः' पाछ। नय छे. ॥२२॥
સૂવા–આ પ્રકારે રાજાએ આદિ દ્વારા આમંત્રણ મળવાને કારણે, કાયર સાધુએ મેહગ્રસ્ત થઈને, તથા સ્ત્રીઓ અને કામગમાં આસક્ત થઈને, આચાર્ય આદિ દ્વારા સંયમમાં અવિચલ રહેવાની પ્રેરણા મળવા છતાં પણ સંયમને ત્યાગ કરીને ગુડવાસમાં આવી ગયાના ઘણા દાખલાઓ મોજુદ છે. રેરા
ટીકાથ–પૂર્વોક્ત પ્રકારે રાજા, અમાત્ય, બ્રાહ્મણ, ક્ષત્રિય આદિ દ્વારા અનુકૂળ પરીષહ રૂપ ભેગ ભેગવવાનું નિમંત્રણ મળવાને કારણે, કેટલાય કાયર
શ્રી સૂત્ર કતાંગ સૂત્ર : ૨