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श्रठी उठी
मठी उठी कि०वि० [अ०] यहां-वहां इधर-उधर । ठीक- वि० झूठ, मिथ्या ।
ग्रीनली ठीली- वि० (स्त्री० [मठीनली, घठीली) इधर का प्रठीने क्रि० वि० इस तरफ, इस प्रोर ।
अठोतरसी - पु० [सं० ग्रष्ट शत ] १०८ की संख्या । अठोतरी - स्त्री० १०८ मनिकों की माला ।
महोतरी देखो 'इठेतरी
अठोर, ठोरी - वि० दृढ़, मजबूत २ तीव्र, तेज । अठ्ठी-१ देखो पाठी २ देखो 'मठ' ।
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ठीको वि० (स्त्री० प्रठीपी) हृष्ट-पुष्ट, मजबूत |
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श्रठीलौ - वि० (स्त्री० ग्रठीली ) इस प्रोर का इधर का । ठे ( 8 ) - क्रि०वि० यहां, यहां पर ।
ठेल, ठेलमौ - वि० १ जिसे हटाया न जा सके, अचल । २ वीर डायटो - पु० प्रोढ़ने का सूती वस्त्र । महारगिर देखो 'बढ़ारगिर' | अडारटंकी देखो 'पहारकी' |
३ बहुत, अपार ।
ठोकी वि० १ शक्तिशाली, बलवान २रह मजबूत वीर
अठोट अठोठ वि० १ पढ़ा-लिखा २ विद्वान् ।
अठोतर- देखो 'इतर'
ठ्ठ - देखो 'प्रटे' ।
पट्टी पु० डिंगल का एक गीत (इंद) ।
गाबाज देखो 'बाज'
( ३५ )
भी दण्ड देने वाला । पु० ईश्वर ।
अड' बर- देखो 'आडंबर' ।
डर - वि० डररहित, निडर ।
श्रडळ
- पु० सोलह मात्रा का छंद जिसमें नदी का नियम न हो ।
पर पुताई आदि करते समय रस्से बांध कर बनाया जाने वाला आधार । ३ कमजोर छत के नीचे लगाया जाने वाला सहारा ।
डांणी, डांग, श्रडांगौ- वि० गिरवी, रेहन । —स्त्री० १ गिरवी रखने की क्रिया या भाव। २ गिरवी रखी हुई वस्तु । अडाइ, घड़ाई देखो 'पढ़ाई'।
डी० १ सिचाई की क्रिया २ सिचाई की भूमि । अडवाळरणौ (बौ) क्रि० अधिकार या वश में करना ।
डांण पु० १ मकान बनाते समय लठ्ठे बांध कर बनाया जाने वाला चढ़ने-उतरने का रास्ता । २ ऊंची एवं खड़ी दीवार
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डागर - पु० एक प्रकार की नागरवेल व उसका पत्ता ।
गो-देखो 'गो' ।
अडंड- देखो १ 'दंड' । २ देखो 'उदंड' ।
-चकर, चक्र पु० देवी प्रकोप भाग्य का चक्र | डीरळ - वि० १ वीर बहादुर । २ भयंकर 1
'डगीय वि० [सं०] दण्डनीय जो दंड पाने योग्य न हो, घडील (लो)- वि० १ बिना शरीर का देहविहीन २ रढ़।
प्रदण्ड्य ।
अरवि०
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धत्यधिक बहुत २ निडर, निर्भय । अडंडा - डंड - वि० जिसको दण्ड देने की सामर्थ्य न हो, उसे डेल - वि० १ अड़ियल । २ सुस्त ।
श्रढ़ती
महारौ पु० अजीर्ण, अपच ।
अडिग - वि० १ स्थिर, चल । २ दृढ़, मजबूत । ३ वीर । पडिला पहिल्ला-० गोलह मात्राओं का छंद जिसमें 'जगण'
वर्जित है ।
अडींग - वि० १ जबरदस्त, भयंकर । २ बलवान । अडीक देखो 'उडीक' ।
अंडीकणी (ब)- देखो 'उडीकरणौ' (बी) |
अडीठ - वि० [सं० अदृश्य ] १ अदृश्य लुप्त । २ छुपा हुआ, गुप्त । ३ दृष्टि से परे । ४ प्रन्तर्धान । पु० १ एक प्रकार का विपना फोड़ा २ दुर्भाग्य ३ प्राकृतिक उत्पात
ग्रडकारणों, (बौ)-क्रि० १ मारना, वध करना । २ खाना, हजम डोळ (ळी) - वि० (स्त्री० ग्रेडोळी) १ अचल स्थिर । २ स्तब्ध
कर जाना ।
डग, अडगी- देखो 'अडिग' |
३ बिना गढ़ा हुआ । ४ सूखा हुआ । ५ ग्राभूषण रहित । - पु० १ पहाड़ । २ बड़ा पत्थर ।
अडगनियो देखो 'योगनियों' (मेयात) |
डपणौ ( बौ) - क्रि० १ हठ या जिद्द करना । २ साहस करना । ३ अपनी बात पर अडिग रहना ।
डपेंच धडपेच- ० पगड़ी को पड़ी नपेट
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अडबंध - देखो 'ग्राडबंध' ।
डोकरण- पु० लुढ़कने वाली वस्तु को स्थिर रखने के लिए लगायी जाने वाली वस्तु, रोक 1
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डोळरणौ (बौ) - क्रि० १ मारना, वध करना । २ भक्षण करना खाना । ३ भ्रमण करना । ४ देखो 'डोळणं' (वौ) । घड्डी - ० ठहरने का स्थान २ यारियों या धावारा व्यक्तियों के बैठने का स्थान । ३ वेश्याओं का स्थान, चकला । ४ केन्द्र स्थान । ५ बांस की पट्टी का गोला जिसमें कपड़ा फंसा कर कसीदा किया जाता है । ६ स्वर्णकारों का प्रौजार विशेष | यांनी गौ-वि० १ विकट दुर्गम २ भयंकर ३ धोखा, विचित्र पु० कामदेव ।
श्रढढढ़ - प्रव्य० खेद, क्लेश, शोक या ग्राश्चर्य सूचक ध्वनि । श्रढ़तौ वि० १ समान बराबर । २ विशिष्ट ।