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72... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन 1. जो ग्रह अस्त हो
2. नीच राशि में स्थित हो 3. शत्रु ग्रह से पराजित हो 4. शत्रु ग्रह द्वारा दृष्ट हो 5. जो ग्रह बाल या वृद्ध हो 6. जो ग्रह वक्री हो 7. जो ग्रह अतिचारी हो
8. जो ग्रह उल्कापात के कारण
दूषित हो राहु शुद्धि
ग्रहों के आधार पर- आचार्य जयसेन प्रतिष्ठापाठ के अनुसार यदि मीन, मेष, वृषभ का सूर्य हो तो राहु मुख ईशान कोण में होता है। मिथुन, कर्क, सिंह का सूर्य हो तो राहु मुख वायव्य कोण में होता है। कन्या, तुला, वृश्चिक का सूर्य हो तो राहु मुख नैऋत्य कोण में होता है। धनु, मकर, कुम्भ का सूर्य हो तो राहु मुख आग्नेय कोण में होता है। __ जिस दिशा में राहु मुख हो उसके पृष्ठ भाग में नींव का खनन करना चाहिए। भूमि को सुप्त नक्षत्रों में न खोदें। महीनों के आधार पर मिगसर, पौष, माघ महीनों में राहु पूर्व दिशा में वास करता है। फाल्गुन, चैत्र, वैशाख महीनों में राहु दक्षिण दिशा में वास करता है। ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण मास में राहु पश्चिम दिशा में वास करता है। भाद्र पद, आसोज, कार्तिक मास में उत्तर दिशा में वास करता है।' वारों के आधार पर वार
राहु मुख रविवार
नैऋत्य दिशा सोमवार
उत्तर दिशा
आग्नेय दिशा बुधवार
पश्चिम दिशा गुरुवार
ईशान कोण शुक्रवार
दक्षिण दिशा शनिवार
वायव्य कोण
वार