Book Title: Pratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 732
________________ पद्मा पद्मिनी पर्यंक पबासन पर्वन् पाद 666... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन पद्मकोश : कमल की कली जैसा आकार, शिखर का गूमटनुमा उठान। पद्मपत्र : पत्तियों के आकार वाला थर, दासा। पद्मबंध : एक अलंकृत पट्टी जो दक्षिण भारतीय स्तम्भ के मध्य भाग और शीर्ष भाग में होती है। पद्मशिला : गुम्बज के ऊपर की मध्य शिला जो नीचे लटकती दिखती है, छत का अत्यलंकृत कमलाकार लोलक, पद्मा। : पद्मशिला। : नवशाखा वाला द्वार। : पलंग, खाट, पल्यंक। : देव के बैठने का स्थान, पीठिका। परिकर : मूर्ति के साथ की अन्य आकृतियाँ। : ध्वजादण्ड की दो चूड़ी का मध्य भाग। : चरण, चौथा भाग। पार्श्व : एक तरफ, समीप। पालव : छज्जा के ऊपर छाद्य का एक थर। : जाल, फंदा, शत्रु को बांधने की डोरी का गुंजला। पिण्ड : मोटाई। पिशाच : क्षेत्र गणित के आय और व्यय दोनों बराबर जानने की संज्ञा। परीठ : प्रासाद की खुरसी, आसन, चौकी पादपीठ। : नगर, ग्राम। पुरुष : सुवर्ण पुरुष जिसे आमलसार में पलंग पर रखा जाता है। पुष्पकंठ : दासा, अंतराल । पुष्कर : जलाश्रय का मंडप, वलाणक। पुष्करिणी : मकान में बना हुआ पानी का टांका। पुष्पगेह : पूजनगृह : विस्तार, चौड़ाई। पेट : पाट आदि के नीचे का तल, पेटक। पौरुष : प्रासाद पुरुष की विधि। : प्रासाद की पीठ के नीचे भिट्ट का थर। प्रणाल : परनाला, पानी निकलने की नाली। पाश पुर पृथु पौली

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