Book Title: Pratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 731
________________ पट्ट परिशिष्ट ...665 नासक : कोना। नासिका : दक्षिण भारतीय विमान का वह खुला भाग जो प्रक्षिप्त और तोरण युक्त होता है। अल्प नासिका या क्षुद्र नासिका छोटी होती है तथा महानासिका उससे बड़ी होती है। निरंधार : प्रकाश सहित, व्यक्त, प्रदक्षिणा पथ से रहित मंदिर। निषीधिका : जैन महापुरुष का स्मारक स्तम्भ या शिला, निषद्या, समाधि अथवा मोक्ष गमन का स्थल। निर्गम : बाहर निकलता हुआ भाग। . निशाकर : आमलसार का देव, चन्द्रमा। निःस्वन : शब्द। नृत्यमंडप : रंग मंडप, परिस्तम्भीय सभा मंडप। प्लव : पानी का बहाव। : पाषाण का पाट, अलंकरण से रहित या सहित पट्टी। पट्टभूमिका : ऊपर की मुख्य खुली छत। पट्टिका : दालान, बरामदा पताका : ध्वजा पंचदेव : ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य, ईश्वर और सदाशिव इन पाँच देवों का समूह, उरुश्रृंग के देव। पंच रथ : पाँच प्रक्षेपों वाला मन्दिर। पंच शाखा : द्वार की पाँच अलंकृत पक्खों सहित चौखट। पंचायतन : चार लघु मंदिरों से परिवृत्त मन्दिर। पंजर : लघु अर्धवृत्ताकार मन्दिर, नीड। : भाग, हिस्सा। पत्र लता : पत्रांकित लताओं की पंक्ति। पत्र शाखा : प्रवेश द्वार का वह पक्खा जिस पर पत्रांकन होता है, द्वार की प्रथम शाखा। : कमलाकार गोटा या एक भाग, दक्षिण भारतीय फलक को आधार देने के लिये बनाया जाने वाला एक कमलाकार शीर्षभाग। : समतल छत। पद पद्म पद्मक

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