Book Title: Pratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 740
________________ 674... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन सुरवेश्मन् : देवालय। सुषिर : पोलापन, छेद। सुवर्ण पुरुष : इसे जिनमन्दिर का जीवस्थान (हृदय) माना जाता है। इसे शिखर, आमलसार, छज्जा, शृंग, शुकनास आदि पर लगाया जाता है। सूत्रधार : शिल्पी, मंदिर बनाने वाला कारीगर। सूत्रारम्भ : नींव खोदते समय वास्तु भूमि में कीले ठोंककर उसमें सूत बांधने का आरम्भ। सृष्टि : दाहिनी ओर से गिनना। सोपान : सीढ़ी। सौध ': राजमहल, हवेली। स्कन्ध : शिखर के ऊपर का भाग। स्तम्भ : थंभा, खम्भा, ध्वजा दण्ड। स्तम्भवेध : ध्वजाधार, कलावा।। स्थन्डिल : प्रतिष्ठा मंडप में बालुका वेदी जिसके ऊपर देव को स्नान कराया जाता है। स्थावर : प्रासाद के थर। स्मरकीर्ति : एक शाखा वाले द्वार। स्वयंभू : अघड़ित शिवलिंग। हर्म्य : मकान, मध्यवर्ती तल, दक्षिण भारतीय विमान का मध्यवर्ती भाग। हर्म्यशाल : घर के द्वार के ऊपर का बलाणक। हस्तांगुल : एक हाथ के लिए एक अंगुल, दो हाथ के लिए दो अंगुल इस प्रकार जितने हाथ उतने अंगुल। हस्तिनी : सात शाखा वाला द्वार। : कम होना, न्यून, छोटा। हार : कूट, शाला और पंजर नामक लघु मन्दिरों की पंक्ति जो दक्षिण भारतीय विमान के प्रत्येक तल को अलंकृत करती है। a

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