Book Title: Pratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 735
________________ RA परिशिष्ट ...669 मंडोवर : प्रासाद की दीवार, पीठ, वेदिबंध, जंघा से मिलकर बने भाग का नाम, पश्चिमी भारतीय स्थापत्य में प्रचलित। मंदारक : प्रासाद का उदय भाग, द्वार की अलंकृत देहरी, देहरी के मध्य ___ का गोल अर्द्धचन्द्र भाग। मत्तक् : कटहरा। मत्तावलम्ब : गवाक्ष, झरोखा, आला, ताक। : जाप विशेष। मध्यस्था : प्रासाद के 1/4 भाग के मान का कोली मंडप का नाम। मर्कटी : ध्वजा दण्ड के ऊपर की पाटली जिस पर ध्वजा लटकाई जाती है। महामंडप : मध्यवर्ती स्तम्भ आधारित मंडप, जिसके दोनों पार्श्व ___ अनावृत्त होते हैं, मध्यकालवी मंदिरों में प्रचलित। महानस : रसोईघर। माड : मंडप, मंडवा। मिश्र संघाट : ऊँचे नीचे खांचे वाला गुम्बद का चंदोवा, छत। मुकुली : आठ शाखा वाले द्वार का नाम। मुख भद्र : प्रासाद का मध्य भाग मुख मण्डप : गर्भगृह के आगे का मंडप, बलाणक, प्रवेश द्वार से संयुक्त मंडप। मुण्डलीक : छज्जा के ऊपर का एक थर। : टेढ़ा, तिरछा। मूल : नीचे का भाग। मूल कर्ण : शिखर के नीचे का कोना। मूल रेखा : शिखर के नीचे के दोनों कोण के बीच का नाप, कोना। मूल प्रासाद : मुख्य मन्दिर। मूलनायक : मुख्य स्थान पर स्थापित तीर्थंकर मूर्ति। मुख्य चतुष्की : प्रवेशद्वार से संयुक्त मुख मंडप या सामने का खांचा। मान स्तम्भ : चारों ओर से निराधार स्तम्भ, जिसके शीर्ष पर चार तीर्थंकर मूर्तियाँ होती है।

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