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मन्दिर निर्माण का मुहूर्त विचार ...77 शुभ मानी गई हैं।
वार शुद्धि- ज्योतिष शास्त्र में खनन कार्य के लिए रवि और मंगल को छोड़कर शेष वार शुभ कहे गये हैं।
द्वारचक्र विचार- सूर्य नक्षत्र से दैनिक नक्षत्र तक गिनने पर प्रारम्भ के 7 नक्षत्र हों तो अशुभ, उससे आगे के 11 नक्षत्र हों तो शुभ और उससे आगे के 11 नक्षत्र हों तो अशुभ है। ऊपर वर्णित शुभ नक्षत्रों में खनन करना चाहिए।
भूमि शयन नक्षत्र विचार- सूर्य जिस नक्षत्र में हो उस नक्षत्र से गिनते हए दैनिक नक्षत्र 5,7,9,12,19,26 की संख्या में आता हो तो उन नक्षत्रों में भूमि शयन करती है। जैसे सूर्य विशाखा नक्षत्र में है और दैनिक नक्षत्र रेवती हो तो विशाखा से रेवती 12 वाँ होने से उस दिन भूमि शयन करती है। भूमि शयन के नक्षत्रों में खनन नहीं करना चाहिए।14
नागवास्तु चक्र- तिथि के अनुसार खनन करने की दिशा निश्चित करनी चाहिए। इसे निम्न कोष्ठक द्वारा स्पष्ट समझें।
तिथि ईशान | आग्नेय | नैऋत्य । वायव्य ___12 12 |
खात | 345 678 9 10 11
खात
खात
खात
शेषनाग चक्र-खनन मुहूर्त में शेषनाग चक्र भी देखा जाता है। वास्तसार प्रकरण के अनुसार इस चक्र की निर्माण विधि निम्न है- सर्वप्रथम प्रासाद भूमि में समचौरस 64 खंड बनाएं, फिर प्रत्येक खण्ड में रविवार आदि सात वारों का प्रथम अक्षर लिखें। इसमें प्रथम एवं अन्तिम कोठे में रविवार आना चाहिए। फिर इन कोष्ठकों के ऊपर इस रीति से नाग की आकृति बनाएं कि वह प्रत्येक शनिवार एवं मंगलवार के खानों को स्पर्श करती हुई दिखें। जहाँ-जहाँ शनि और मंगल के कोष्ठक हो वहाँ खात नहीं करना चाहिए।15 स्पष्ट बोध के लिए शेषनाग चक्र इस प्रकार है