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पंच कल्याणकों का प्रासंगिक अन्वेषण ...273
गर्भापहरण के समय सर्वप्रथम परमात्मा को हाथों में ग्रहण करने का मंगलमय अवसर प्राप्त हुआ। परमात्मा के जन्म आदि की सूचना देने का सुअवसर भी उसे प्राप्त होता है।
आज हरिणगमेषी देव की भूमिका अदा करते हुए मुझे लग रहा है कि मैंने साक्षात आपका स्पर्श कर लिया है। हे कृपानिधान मुझ सेवक को भी धन्य करो।
. नगर में सोनिया गांधी, सचिन तेन्दुलकर या प्रधानमंत्री आ रहे हो तो उनके लिए अनेक प्रकार की तैयारियां की जाती है। Z सुरक्षा का बंदोबस्त किया जाता है एवं नगर के प्रमुख लोगों को विशेष रूप से आमंत्रित भी किया जाता है, जिससे आने वाले व्यक्ति की प्रतिष्ठा अनुसार उसका सम्मान हो सकें। इसी प्रकार जब किसी नगर में परमात्मा का आगमन होता है, प्रतिष्ठा के द्वारा वहाँ उनका स्थायी वास होता है तो नगर जनों के द्वारा हर्ष अभिव्यक्ति हेतु अनेक प्रकार के कार्यक्रम किए जाते है। उन्हीं में से एक मुख्य आयोजन होता है, परमात्मा के पंच कल्याणकों का दिग्दर्शन। परमात्मा के जीवन चरित्र से आम जनता को वाकिफ करवाने एवं अपने जीवन को भी उनके समान बनाने हेतु संकल्पबद्ध होकर प्रभु मार्ग का अनुसरण करने की अनुपम शिक्षा इस अनुष्ठान के माध्यम से प्राप्त होती है।
इसी के साथ जो इन्द्र आदि के पात्र बनकर तीर्थंकरों के जीवन को जन मोदिनी के समक्ष प्रस्तुत कर रहे है, वे अपने जीवन को वैसा बनाने की Practical शिक्षा भी ग्रहण करते हैं।
यह नाटकीय प्रस्तुति कई बार Turning Point of Life बन जाती है। इन अनुष्ठानों से हुआ भावनात्मक जुड़ाव अनेक कर्मों की निर्जरा एवं दोषों के निराकरण में हेतुभूत बनता है। समाज को सदाचरण की एक नई दिशा प्राप्त होती है। नगराजन एवं अन्य धर्मानुयायी जैन धर्म एवं तीर्थंकरों की महिमा और प्रभुता से परिचित होते हैं। परमार्थत: ऐसे आयोजन ही आज की भौतिकतावादी मानसिकता को अध्यात्म की ओर Convert कर सकते हैं।