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472... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
से जुड़े अनेक अन्य तथ्यों, उसके मूल स्वरूप आदि को भी समझ पाएं एवं अपना आत्म-कल्याण साध सकें ऐसी ही अंतरभावना है।
सन्दर्भ सूची
1. (क) त्रिलोकसार, आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती, गा. 973-977 (ख) जम्बूदीव संगहो, 5/113
2. दश भक्त्यादि संग्रह, नंदीश्वर भक्ति, श्लो. 15-16
३. (क) वसुनन्दी श्रावकाचार, श्लो. ५०२ (ख) त्रिलोकसार, 552
4. (क) आचार्य समन्तभद्र, वासुपूज्य स्तवन, 58
(ख) आचार्य देवसेन, सावयधम्मदोहा, 207
5. इन्द्र 1008 कलशों से अभिषेक करता है जिसका प्रत्येक कलश 8 मील के मुँह वाला, 32 मील चौड़ा और 64 मील गहरा होता है।
6. पद्मपुराण, 32/166
7. प्रश्नोत्तर श्रावकाचार, 20/196
8. (क) व्रतोद्योतन श्रावकाचार, 198
(ख) उपासकाध्ययन, 10/13
9. रत्नकरण्डक श्रावकाचार, 1/21 10. सुबोधा सामाचारी, पृ. 40-42 11. विधिमार्गप्रपा, पृ. 291-298 12. आचारदिनकर, पृ. 151-154 13. प्रतिष्ठाकल्प, पृ. 94-108