Book Title: Pratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 726
________________ 660... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन कुम्भ भाग। कुंभिका : स्तम्भ की अलंकृत चौकी, स्तंभ के नीचे की कुंभी। कूटच्छाय : छज्जा : स्वर्ण या रजत का कछुआ जो नींव में रखा जाता है। : कछुए के चिन्ह वाली धरणी शिला । कूर्म कूर्मशिला केसरिन : पाँच श्रृंग वाला प्रासाद कोटर : पोलापन, पोला भाग कोल आण क्षिप्त क्षेत्र क्षोभ खण्ड खरशिला : मन्डोवर का दूसरा थर, कलश, अधिष्ठान का खुर के ऊपर का एक गोटा, दक्षिण भारतीय स्तम्भ शीर्ष का एक ऊपरी खात खुर कनीयस क्षेत्रपाल कुडू (तमिल) : चैत्य गवाक्ष कट्टू (तमिल) खत्तक गगारक गजतालू : गुम्बज की ऊँचाई में गज़ तालू थर के ऊपर का थर । : खण्ड, विभाग : लटकती हुई छत : प्रासाद तल : कोनी : लघु, छोटा : अमुक मर्यादित भूमि का देव । : स्तम्भ के ऊपर के तथा नीचे के दो चतुष्कोण भागों के बीच का अष्टकोण वाला भाग। : विभाग, मंजिल' : जगती के दासा के ऊपर तथा भिट्ट के नीचे बनी हुई प्रासाद को धारण करने वाली शिला । : भवन की नींव : प्रासाद की दीवार का प्रथम खर, अधिष्ठान का सबसे नीचे का गोटा, खुरक, खुरा । : अत्यंत अलंकृत प्रक्षिप्त आला, गवाक्ष सदृश । : देहरी के आगे अर्धचन्द्राकृति के दोनों ओर फूलपत्ती वाली आकृति । : छत का एक अवयव जो मंजूषाकार सुई के अगले भाग के

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