Book Title: Pratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 722
________________ 656... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन जैन धर्म वीतराग उपासक धर्म है। यहाँ पर ईश्वर कर्तृत्व को मान्य नहीं किया गया है। सभी जीव अपने-अपने कर्म अनुसार फल प्राप्त करते हैं। किन्तु वर्तमान में देवी-देवताओं की भक्ति के प्रति लोगों के बढ़ते रूझान से जैन धर्म भी अछुता नहीं है। जैन शास्त्रों में भी सम्यक्त्वी देवी-देवताओं का वर्णन प्राप्त होता है तथा कई स्थानों पर उनके पूजन करने या उनसे स्वीकृति प्राप्त करने का विधान उल्लेखित है। उपाश्रय, कूप, तालाब, जिनालय आदि का निर्माण करने से पूर्व क्षेत्रपाल आदि की आज्ञा ली जाती है अथवा स्थापना की जाती है। प्रश्न उपस्थित होता है कि आखिर ऐसा क्यों? ___आचार्य जयसेन इस शंका का समाधान करते हुए कहते हैं कि जिस स्थान पर निर्माण कार्य करना हो उस स्थान के स्वामी देवों से क्षमायाचना कर आदर पूर्वक उन्हें संतुष्ट करना चाहिए तथा आज्ञा प्राप्त करके मंगल कार्य में अतिथि रूप में आमंत्रित करना चाहिए। यह एक सामान्य लोक व्यवहार है। क्योंकि जीव जहाँ रहता है, उस स्थान के प्रति सहज राग उत्पन्न हो जाता है। उस स्थान का छूटना या किसी ओर का वहाँ आना उसे गवारा नहीं होता। अत: पूर्व में ही उन्हें संतुष्ट एवं प्रसन्न करने से वे कार्य में बाधा उपस्थित नहीं करते अपितु सहायक बनते हैं। जैन दर्शन के अनुसार सम्पूर्ण मध्यलोक में व्यंतर देवों का निवास है और इसी कारण साधु-साध्वी एक तिनका उठाने से पहले भी तत्भूमि सम्बन्धी देवों की आज्ञा लेते हैं। सम्यक्त्वी देवी-देवता स्वयं वीतराग उपासक होते हैं। परमात्म भक्ति के कार्यों में आमंत्रित करने पर वे प्रसन्न, संतुष्ट एवं आनंदित होते हैं। उन्हें एक साधर्मिक रूप में ही ऐसे कार्यों में आमंत्रित किया जाता है। वर्तमान में देवी-देवताओं की चमत्कारिक सिद्धियों की वजह से उनके प्रति बढ़ता आकर्षण एवं उनकी पूजा-उपासना अवश्य विचारणीय है। प्रस्तुत कृति में ऐसे अनेक तथ्यों पर शास्त्रीय, प्रासंगिक एवं समालोचनात्मक अध्ययन पाठक वर्ग की अपेक्षा से किया गया है। इसी क्रम में प्रतिष्ठा अनुष्ठान को रोचक एवं नव्य रूप देकर सत्रह अध्यायों के माध्यम से प्रतिष्ठा विधि और उससे सम्बन्धित विभिन्न क्रिया कलापों पर मौलिक दृष्टि से भी विचार करने का प्रयास किया गया है।

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