________________
प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...313 ॐ ह्रीं हूं ब्लूँ . द्रः ब्रह्मन् संवौषट् (स्वाहा) तत्पश्चात चन्दन एवं कपूर से ब्रह्म देव का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से ब्रह्म का आह्वान करें
ॐ नमो ब्रह्मणे ऊर्ध्वलोकधिष्ठायकाय राजहंसवाहनाय सायुधाय सपरिजनाय जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सवे आगच्छ-आगच्छ स्वाहा। फिर निम्न मंत्र से ब्रह्म देव की स्थापना करें
अत्र तिष्ठ-तिष्ठ स्वाहा फिर निम्न मंत्र से ब्रह्म देव की अष्ट प्रकारी पूजा करें1. चन्दनं समर्पयामि स्वाहा -चंदन से पूजा करें। 2. पुष्पं समर्पयामि स्वाहा -मोगरा के पुष्प चढ़ायें। 3. वस्त्रं समर्पयामि स्वाहा -सफेद रेशमी वस्त्र चढ़ायें। 4. फलं समर्पयामि स्वाहा -बीजोरे का फल चढ़ायें। 5. धूपमाघ्रापयामि स्वाहा -धूप दिखायें। 6. दीपं दर्शयामि स्वाहा -दीपक दिखायें। 7. नैवेद्यं समर्पयामि स्वाहा -घेवर चढ़ायें। 8. अक्षतं ताम्बूलं द्रव्यं सर्वोपचारान् समर्पयामि स्वाहा -पान, अक्षत,
सपारी और पैसा आदि चढ़ायें। फिर स्फटिक की माला से 108 बार निम्न मंत्र का जाप करें
ॐ ब्रह्मणे नमः। फिर तीन बार निम्न मंत्र कहते हए ब्रह्म देव को तीन बार अर्घ्य दें।
ॐ ह्रीं दूं ब्लूँ . द्रः ब्रह्मन् संवौषट् (स्वाहा) फिर दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करें
ब्रह्मलोकविभुर्यस्तु, राजहंससमाश्रितः ।
संघस्य शान्तये सोऽस्तु, बलि पूजां प्रतीच्छतु ।। 10. पाताल पूजा
सर्वप्रथम अधो दिशा के स्वामी नाग को पुष्प एवं सुगन्धित अक्षत चढ़ाते हुए बधायें
ॐ औं ह्रीं क्रौँ ऐं ह्यौं पद्मावती सहिताय धरणेन्द्र संवौषट् (स्वाहा) तत्पश्चात चन्दन एवं दूध से नाग देव का आलेखन करें। फिर निम्न मंत्र से नाग देव का आह्वान करें।
.
बालो