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392... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
आसन यंत्र - 2
ॐ ईशानाय स्वाहा ॐ रोहिणि प्रज्ञप्ति
ॐ कुबेराय स्वाहा पौरुष्या अच्छुप्ता मानसी महामानसी
ॐ इन्द्रिय स्वाहा वज्रशृंखला
ॐ ब्रह्मणे स्वाहा
ॐ अग्नये स्वाहा वज्रांकुशी
ॐ ह्रीं श्रीं पार्श्वनाथाय (मूलनायक नाम) स्वाहा
यूँ
यूँ
ॐ नागाय स्वाहा
ॐ धरणेन्द्राय स्वाहा । ॐ पद्मावत्यै स्वाहा
अप्रतिचक्रा पुरुषदत्ता काली महाकाली ॐ यमाय स्वाहा
मानवी सर्वास्त्र महाज्वाला गांधारी गौरी ॐ वायवे स्वाहा । ॐ वरुणाय स्वाहा । ॐ नैऋत्ये स्वाहा ।
।। इति यन्त्र निर्माण- पूजन विधि ।। कलशारोहण प्रतिष्ठा विधि
विधिमार्गप्रपा के अनुसार कलश प्रतिष्ठा की विधि निम्नानुसार है• जिस दिन शिखर पर कलश की स्थापना की जाती है उस दिन सर्वप्रथम शिखर के आस-पास वाली भूमि शुद्ध करें, गन्धोदक से उस स्थान को स्वच्छ करें, पुष्पादि से उसका सत्कार करें।
• तत्पश्चात जिस शिखर पर कलश स्थापित करना हो उस जगह कुम्भकार के चाक की मिट्टी सहित पंचरत्न (सुवर्ण रजत-मोती-प्रवाल- लोह) रखें। फिर उसके ऊपर कलश स्थापित करें।
• तदनन्तर पूर्व की भाँति सर्व जलाशयों एवं पवित्र स्थानों से जल लाएं, उसके बाद प्रतिष्ठित बिम्ब की स्नात्र पूजा करें, फिर पूर्ववत षष्ठ वलयाकार नंद्यावर्त्त की स्थापना एवं पूजा करें।
• फिर निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए सभी दिशाओं में दिक्पालों को शान्ति बलि दें। पूर्व दिशाभिमुख होकर कहें