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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...425 . फिर वेदी मण्डल की स्थापना करके पूर्ववत पूजा करें। तत्पश्चात पंचामृत द्वारा निम्न मंत्र बोलते हुए क्षेत्रपालमूर्ति का स्नान कराएँ
ॐ क्षां क्षीं दूं मैं क्षौं क्षः क्षेत्रपालाय नमः। • तदनन्तर पूर्वोक्त मंत्र का स्मरण करते हुए विधिकारक एवं गुरु तीन बार वासचूर्ण डालकर उसे प्रतिष्ठित करें। तिल के चूर्ण से होम करें। तदनन्तर करम्ब, यूष (शोरबा), कंसार, बकुल (बाफला), लपन (लापसी) एवं श्रीखण्ड आदि नैवेद्य चढ़ाएँ। कुंकुम, तेल, सिन्दूर एवं लाल पुष्प द्वारा मूर्ति की पूजा करें। _ विशेष यह है कि क्षेत्रपाल, बटुकनाथ, कपिलनाथ, हनुमान, नरसिंहादि, वीरपर पजित नाग आदि एवं देश पूजित गोगा आदि- इन सबकी प्रतिष्ठा विधि एक जैसी ही है, किन्तु गृह क्षेत्रपाल, कपिल, गौर, कृष्ण आदि की प्रतिष्ठा घर में, बटुकनाथ की प्रासाद में, हनुमान की श्मशान में, नृसिंहादि की पुरपरिसर में, पुरपूजित नागादि एवं देश पूजित गोगा आदि की उन-उन के स्थानों पर होती है। इन सबकी प्रतिष्ठा विधि एवं मूल मंत्रों की जानकारी अपने-अपने आम्नाय को मानने वाले लोगों से प्राप्त करें। प्रतिष्ठा मूल मंत्र के द्वारा ही होती है।65
।। इति क्षेत्रपाल प्रतिष्ठा विधि ।।
यक्ष-यक्षिणी प्रतिष्ठा विधि कल्याण कलिका के अनुसार क्षेत्रपाल आदि एवं चौबीस यक्ष-यक्षिणी की प्रतिष्ठा विधि इस प्रकार है
अंबिका- क्षेत्रपाल आदि समस्त प्रकार के देवी-देवताओं की अधिवासना निम्न मंत्र को 3-5 या 7 बार बोलकर करें. ॐy नमः।
सर्व प्रकार के देवों को प्रतिष्ठित करने के लिए निम्न मंत्र को तीन बार कहकर क्रमश: वासचूर्ण डालें
ॐ क्षीं हूं नमो वीराय स्वाहा। सभी प्रकार की देवियों को प्रतिष्ठित करने के लिए निम्न मंत्र को तीन बार कहकर क्रमश: उन पर वासचूर्ण डालें
ॐ ह्रीं क्ष्मीं स्वाहा। यक्ष-यक्षणियों की यह प्रतिष्ठा विधि सामान्य रूप से कही गई है। प्रत्येक