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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ... 285
3. जया शिला - इस शिला की स्थापना करते समय (1) 'ॐ आधारशिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) 'ॐ शंख ! इहागच्छ, इहतिष्ठ, ॐ शंख निधये नमः' (3) ॐ जये! इहाऽऽगच्छ, इह तिष्ठ, ॐ जयायै नमः ' इन मन्त्रों को पढ़ते हुए पूर्ववत जया शिला को वायव्य कोण में सुप्रतिष्ठित कर निम्न प्रार्थना करें -
जये ! विजयतां स्वामी, गृहस्थाऽस्य माहात्म्यतः । आचन्द्रार्कं यशस्चास्य, भूम्यामिह विरोहतु ।।
4. पूर्णा शिला - इस शिला की स्थापना करते समय (1) ॐ आधार शिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) 'ॐ सुभद्र! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ सुभद्रनिधये नमः' (3) ॐ पूर्णे! इहाऽऽगच्छ, इह तिष्ठ, ॐ पूर्णायै नमः ". इन मन्त्रों को पढ़ते हुए पूर्ववत पूर्णा शिला को ईशान कोण में सुप्रतिष्ठित कर निम्न प्रार्थना करें
त्वयि संपूर्ण चन्द्राभे! न्यस्तायां भवत्वेष गृहस्वामी, पूर्णे!
पूर्ण
वास्तुनस्तले । मनोरथः । ।
पंच शिला स्थापना
पाँच शिलाओं की स्थापना करनी हो तो उसकी विधि निम्न प्रकार है1. नन्दा शिला - इस शिला की स्थापना में (1) ॐ आधार शिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) ॐ पद्म! इहागच्छ, इह तिष्ठ, पद्मनिधये नमः' (3) ‘ॐ नन्दे! इहाऽऽगच्छ, इह तिष्ठ, ॐ नन्दायै नमः'
इन मन्त्रों को पढ़ते हुए पूर्ववत नन्दा शिला को आग्नेय कोण में प्रतिष्ठित कर निम्न श्लोकों से प्रार्थना करें
नन्दे! त्वं नन्दिनी पुसां, वेश्मनि त्विह संतिष्ठ,
त्वामत्र स्थापयाम्यहम् । यावच्चन्द्रार्कतारकाः ।।
आयुः कामं श्रियं देहि, देववासिनी ! नन्दिनी । अस्मिन् रक्षा त्वया कार्या, सदा वेश्मनि यत्नतः ।।
2. भद्रा शिला- इस शिला की स्थापना करते समय (1) ॐ आधार शिले! सुप्रतिष्ठिता भव' (2) ॐ महापद्म ! इहाऽऽगच्छ, इह तिष्ठ, ॐ महापद्म निधये नमः' (3) ॐ भद्रे! इहागच्छ, इह तिष्ठ, ॐ भद्रायै नमः '