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प्रतिष्ठा उपयोगी विधियों का प्रचलित स्वरूप ...283 धातुओं में 1. सोना 2. चाँदी 3. ताँबा 4. कांसा 5. पीतल 6. सीसा 7. कथीर और 8. लोहा की स्थापना करें।
औषधियों में 1. वचा 2. चित्रक 3. सहदेवी 4. विष्णक्रान्ता 5. वारुणी 6. संजीवनी 7. ज्योतिष्मती और 8. ईश्वरी का न्यास करें।
धान्यों में 1. जव 2. व्रीहि 3. कांग 4. जुवार 5. तल 6. शालि 7. मूंग और 8. गेहूँ का न्यास करें।
मध्य खड्डे की पोटली में उक्त सभी प्रकार के रत्नों, धातुओं, औषधियों एवं धान्यों को रखें। उसके पश्चात शिला स्थापना (प्रतिष्ठा) करें। खड्डों में रत्नादि न्यास करने के मन्त्र निम्न हैं
पूर्व दिशा के लिए1. ॐ इन्द्रस्तु महतां दीप्तः, सर्वदेवाधिपो महान् ।
वज्रहस्तो गजारूढ-स्तस्मै नित्यं नमो नमः ।।
आग्नेय कोण के लिए2. ॐ अग्निस्तु महतां दीप्तः, सर्व तेजोधिपो महान् ।
मेषारूढ़ःशक्तिहस्त-स्तस्मै नित्यं नमो नमः ।। दक्षिण दिशा के लिए3. ॐ यमस्तु महतां दीप्तः, सर्वप्रेताधिपो महान् ।
महिषस्थो दण्डहस्त - स्तस्मै नित्यं नमो नमः ।। नैऋत्य कोण के लिए4. ॐ निर्ऋतिस्तु महादीप्तः, सर्वक्षेत्राधिपो महान् ।
खड्गहस्तः शिवारूढ - स्तस्मै नित्यं नमोः नमः ।। पश्चिम दिशा के लिए5. ॐ वरुणस्तु महादीप्तः, सर्ववार्यधिपो महान् ।
नक्रारूढ़ः पाशहस्त - स्तस्मै नित्यं नमो नमः ।। वायव्य कोण के लिए6. ॐ वायुस्तु महतां दीप्तः, सर्वमण्डलपो महान् ।
ध्वजाहस्तो मृगारूढ़ - स्तस्मै नित्यं नमो नमः ।। उत्तर दिशा के लिए7. ॐ कुबेरस्तु महादीप्तः, सर्वयक्षाधिपो महान् ।
निधिहस्तो गजारूढ़ - स्तस्मै नित्यं नमो नमः ।।