________________
120... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
स्पष्ट बोध के लिए जगती का एक चित्र निम्न प्रकार है
.....IITE
-
WAAAAR
SENTINNARTAN MEROVAYC
-- -
-
-
wimmaaMMHAMAMMADANAAMRIMAama
NOVEN ITautiktituRIG2031611000samaanumau1000000
-- -
कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो (जगती) सामान्यतया जगती की संरचना करते समय पूर्वादि दिशाओं के क्रम से कोनों में दिक्पालों की स्थापना करें। फिर जगती को चारों ओर से किले की भाँति सुशोभित करें। फिर उसकी चारों दिशाओं में चार द्वार वाले मंडप बनवायें। तत्पश्चात पानी की निकासी के लिए मगर के मुख वाली नालियाँ बनायें। द्वार के आगे तोरण एवं सीढ़ियों का निर्माण करें। सीढ़ियों के दोनों तरफ हाथी की आकृति बनायें।
यह जगती प्रासाद की पीठ रूप मानी जाती है अतएव इसे अनेक प्रकार से सुशोभित करना चाहिए।48 पीठ
यहाँ पीठ का अभिप्राय मन्दिर के आसन से है। प्रासाद की मर्यादित भूमि पर जगती बनाई जाती है और जगती की मर्यादित भूमि पर पीठ बनाई जाती है। मन्दिर की दीवारें पीठ पर उठाई जाती है इसलिए पीठ का प्रमाण एवं अनुपात शिल्पशास्त्र के अनुरूप रखना चाहिए। पीठ के तीन प्रकार कहे गये हैं1. गजपीठ- गज आदि थरों से युक्त पीठ गजपीठ कहलाती है। ऐसी पीठ
का निर्माण अत्यन्त व्यय साध्य कार्य है।