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जिनमन्दिर निर्माण की शास्त्रोक्त विधि ...147
विष्णु
13. इन्द्रनील 14. महानील 15. भूधर 16. रत्नकूटक 17. वैडूर्य 18. पद्मराग 19. वज्रक 20. मुकुटोज्ज्वल 21. ऐरावत 22. राजहंस 23. गरुड़ 24. वृषभ ध्वज 25. मेरू।
उक्त प्रासादों में कौनसा, किन देव-देवियों के लिए निर्मित करना चाहिए? वह सारणी निम्न हैप्रासाद नाम
उपयुक्त देव केसरी
पार्वती देवी नन्दन
सर्व देवों के लिए श्रीवृक्ष अमृतोद्भव
सर्व देव हिमवान
नागकुमार कैलास
शिव इन्द्रनील
सर्व देव, शिव भूधर
सर्व देव रत्नकूट
सर्व देव एवं शिव पद्मराग
सर्व देव वज्रक
इन्द्र ऐरावत पक्षीराज वृषभ
शिव
ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सूर्य केसरी आदि पच्चीस प्रासादों का तल विभाग, शिखर सज्जा, श्रृंग संख्या इत्यादि की जानकारी हेतु प्रासादमंडन के छठे अध्याय का अवलोकन करना चाहिए।
तृतीय विभाग- जिनेश्वर प्रभु के लिए उत्तम जाति के प्रासादों का निर्माण करना चाहिए। प्रासादों की मुख्य जातियों में निम्न जाति के प्रासाद श्रेष्ठ कहे गये हैं1. नागर प्रासाद- इस जाति के प्रासाद अनेक प्रकार के तल की आकृति
वाले, अनेक गुमटों वाले, अनेक श्रृंगयुक्त फालना वाले और गवाक्ष वाले होते हैं।62
विष्णु
मेरू