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अध्याय-9 किसे-कौनसे तीर्थंकर की प्रतिमा भरवानी चाहिए?
जब किसी नगर में जिन मंदिर निर्माण का विचार किया जाता है तब यह भी सुनिश्चित कर लिया जाता है कि मंदिर के मूल नायक कौन से तीर्थंकर होंगे? मूलनायक के नाम से ही मंदिर का नाम प्रचलित होता है। प्रतिष्ठा कल्पों में इस विषयक स्पष्ट निर्देश उपलब्ध होते हैं। तदनुसार प्रतिमा स्थापन कर्ता की जन्म राशि एवं नक्षत्रादि से तीर्थंकर की नाम राशि का मिलान करना चाहिए। इसी के साथ नगर या शहर के नाम की राशि से भी तीर्थंकर प्रभु की राशि का मिलान करना चाहिए। यह राशि मिलान तीर्थंकर की नवांश राशि से भी किया जाना चाहिए। इस विषय में प्रतिष्ठाचार्य अथवा ज्योतिर्विद् मुनियों से विनय पूर्वक निवेदन करके समुचित मार्गदर्शन लेना चाहिए। उसके बाद ही मूलनायक तीर्थंकर का निर्णय करना चाहिए।
सामान्यतया निर्माण कर्ता की नाम राशि जिस तीर्थंकर के समान हो उसे उन्हीं तीर्थंकर की प्रतिमा बनवाना या पधराना चाहिए। श्री संघ का जिनालय सिर्फ उपासकों के लिए ही नहीं, सारे नगर के लिए पुण्य वर्धक होता है अतएव नगर एवं निर्माण कर्ता की राशि से तीर्थंकर की राशि का मिलान करना भी जरूरी होता है।
यदि प्रतिमा की स्थापना करने वाला गृहस्थ किसी विशिष्ट तीर्थंकर की प्रतिमा स्थापित करना चाहता है और राशि मिलान नहीं हो रहा हो तो ऐसी स्थिति में उस तीर्थंकर की प्रतिमा को मूलनायक के रूप में न रखकर अन्य वेदी में स्थापित करनी चाहिए।