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208... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन तीर्थंकर राशि मेलापक चक्र
__यह राशि मेलापक चक्र शासन प्रभाकर, आचार्य प्रवर श्री हंससागर सूरीश्वर जी महाराज साहब के शिष्यरत्न, पन्यास प्रवर नरेन्द्र सागरजी महाराज द्वारा संशोधित है। तदनुसार किसी संघ या गृहस्थ को अपनी जन्म राशि एवं नक्षत्र चरण के अनुसार कौनसे तीर्थंकर की प्रतिमा भरवानी चाहिए? उसकी स्पष्ट समझ निम्न प्रकार है
मेष राशि- अश्विनी नक्षत्र (चू-चे-चो) 1-2-3 चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए 15-19-20-21-23वें तीर्थंकर भगवान श्रेष्ठ हैं तथा 8वें तीर्थंकर उसके लिए मध्यम है।
अश्विनी नक्षत्र (ला) चौथे चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति के लिए 3-57-9-10-11-16वें तीर्थंकर पधराना या भरवाना श्रेष्ठ है और 13वें तीर्थंकर मध्यम है।
भरणी नक्षत्र (ली-लू-ले-लो) 5-6-7-8 वें चरण में जन्म लेने वाले गृहस्थ के लिए 5-7-9-11-16वें तीर्थंकर की प्रतिमा भरवाना या प्रतिष्ठा करवाना श्रेष्ठ है और 12वें भगवान मध्यम है। इसी प्रकार अन्य नक्षत्र एवं चरणादि की समझ रखनी चाहिए।
अकारादि क्रम से राशि मिलापक सारणी नाम का नक्षत्र चरण | राशि | शुभ तीर्थंकर सम आद्याक्षर
तीर्थंकर अ-आ-अं कृतिका
| मेष 8,12,13,19 | 4 | इ-उ-ए कृतिका | 1-2-3 | वृषभ 6,8,12,13,17, 24 | ओ-औ रोहिणी
वृषभ 6,8,12,13,17, 2-4
19,20,23,24 14-18 का-की-क्ष मृगशीर्ष ____ 1-2 मिथुन । 16,15,19,20 से 24 | 17 | 3 मिथुन |6,15,19,20
| से 24 के-को पुनर्वसु | 7-8 | मिथुन 16,15,20,22,23 ____17 श्रवण 4-5-6-7 | मकर 6,15,19,20,
|21,22,23,24
आर्द्रा
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