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226... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन
क्र. नक्षत्र चरण सर्वोत्तम उत्तम
मध्यम अक्षर शीतलनाथ
पुष्पदंत, मल्लिनाथ, निमिनाथ,संभवनाथ, शांतिनाथ, आदिनाथ, पद्मप्रभ, महावीर, नमिनाथ
अभिनंदन स्वामी कुन्थुनाथ,अजितनाथ सुपार्श्वनाथ, संभवनाथ,पार्श्वनाथ, श्रेयांसनाथ, धर्मनाथ | मुनिसुव्रत स्वामी,
कुन्थुनाथ, अजितनाथ,
अभिनंदन स्वामी चन्द्रप्रभ, धर्मनाथ संभवनाथ,
अभिनंदन स्वामी,
सुमतिनाथ, वासुपूज्य 5. त्र पुष्पदंत,धर्मनाथ आदिनाथ,शीतलनाथ, विमलनाथ,पद्मप्रभ,
अनंतनाथ, अरनाथ |महावीर, नेमिनाथ
सुमतिनाथ 6. दे शांतिनाथ,नमिनाथ, श्रेयांसनाथ,मल्लिनाथ मुनिसुव्रत स्वामी, सुमतिनाथ
सुपार्श्वनाथ, पार्श्वनाथ, नेमिनाथ
पद्मप्रभ, महावीर वासुपूज्य, कुन्थुनाथ,महावीर,पद्मप्रभ, सुपार्श्वनाथ, नेमिनाथ पार्श्वनाथ, चन्द्रप्रभ,
अजितनाथ 8. चा पुष्पदंत विमलनाथ,अनंतनाथ, पार्श्वनाथ, सुपार्श्वनाथ
अरनाथ, शीतलनाथ, संभवनाथ,अभिनंदन
आदिनाथ |स्वामी, चन्द्रप्रभ 9. ची पुष्पदंत,मल्लिनाथ, शांतिनाथ |श्रेयांसनाथ
नमिनाथ,धर्मनाथ, मुनिसुव्रत स्वामी
चन्द्रप्रभ, आदिनाथ शीतलनाथ आज के आधुनिक युग में मन्दिर निर्माण को अनावश्यक अथवा एक सामान्य कृत्य समझा जाता है। परंतु यदि इसमें निहित शास्त्रीय एवं वैज्ञानिक तथ्यों का अध्ययन करें तो अनेक रहस्यात्मक तथ्य प्रकट होते हैं। मन्दिर में