Book Title: Prakritpaingalam
Author(s): Bholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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१.८३] मात्रावृत्तम्
[४१ टिप्पणी-जा<यत् । जासुरयस्य । (दे० पिशेल ६ ४२७ प्रा० पैं० में 'जसु' रूप भी मिलता है (दे० प्रा० पैं० ६ १.१११) । (यस्य>जस्स>जास-जासु ।)
देआणं<देवानां; णं०आणं, सम्प्रदान-संबंध कारक ब०व० विभक्ति, दे०६ ११ । . तासु<तस्य, दे० जासु (तस्य>तस्स>तास-तासु) ।
बारह लहुआ विप्पी, तह बाईसेहिं खत्तिणी भणिआ ।
बत्तीस होइ बेसी, जा इअरा सुद्दिणी होइ ॥८३॥ [गाहा] ८३. बारह लघु अक्षर वाली दोहा ब्राह्मणी है, बाईस लघु अक्षर वाली क्षत्रिया तथा बत्तीस लघु अक्षर वाली वैश्या है, अन्य दोहा शूद्रा है।
जस्सा पढमहिं तीओ, जगणा दीसंति पाअ पाएण ।
चंडालह घररहिआ, दोहा दोसं पआसेइ ॥८४॥ [गाहा] ८४. जिस दोहा के प्रथम तथा तृतीय भाग में जगण (151) दिखाई दें, वह चंडाल के घर रही हुई दोहा दोष को प्रकट करती है।
टिप्पणी-जस्सा<यस्साः । पढमहिँ < प्रथमे अपभ्रंश 'हिँ' अधिकरण कारक ए० व चिह्न पिशेल ६ ३६६ ए० । चंडालह-'ह' संबंधकारक ए० व० अपभ्रंश विभक्ति ।
घररहिआ-घर+रहिआ; (समस्त पद) । रहिआ- रह+इअ+आ (भूतकालिक कृदन्त स्त्रीलिंग), हि० 'रहना', रा० 'रहबो' ।
छक्कलु चक्कलु तिण्णि कलु एम परि विसम पअंति ।
सम पाअहिँ अंतक्क कलु ठवि दोहा णिब्भंति ॥८५॥ [दोहा] ८६ दोहा गण नियम
दोहा में षट्कल, चतुष्कल तथा त्रिकल इस रीति से अर्थात् क्रम से विषम (प्रथम तथा तृतीय) चरण में पड़ते हैं । समपाद (द्वितीय-चतुर्थ) में अंत में एककल की निर्धांत स्थापना कर दोहा की रचना करे ।
टिप्पणी-एम परि-'इस रीति से' । विसम-अधिकरण कारक ए० व० 'शून्य' विभक्ति । समपाअहि-अधिकरण कारक ब०व०; ए० व० ब० व० विभक्ति "हि-हिँ' है। अंतेक्ककलु-अंते+एक्ककलु । यहाँ संधि हो गई है तथा परवर्ती 'ए' ध्वनि का लोप हो गया है । ठवि < स्थापयित्वा (*स्थापय्य) / ठविअL ठवि । (पूर्वकालिक क्रिया प्रत्यय 'इ' )।
णिब्भंति-की संस्कृत व्याख्याकारों ने (१) निर्वहति, (२) इस आँति-एवं प्रकारेण, (३) निर्धांतम् तीन तरह की व्याख्या की है। इनमें अंतिम ही ठीक जान पड़ती है । 'णिब्भंति' में अंत में 'इ' 'पअंति' की तुक मिलाने के लिए जोड़ा गया है। ८३. D. गाहा । बारह-C. तेरह । बाईसेहि-B. बावीसे, C. बाईसेहि, D. बाईसेंहि । बत्तीस-D. बत्तीसा । जा-C. या । सुद्दिणीA. सा सुद्दिणी, C. सुदिणी । ८४. जस्सा-C.O. जिस्सा । पढमहि-A. D. पढमे तीए, B. पढमह तीए, C. N. पढमहि, K. पढमहि । जगणा-A. B. जगण । दीसंति-B. दिस्संदि, O. दिस्संति । पाएण-B. पायेण । घररहिआ-0. घरवसिआ। पआसेइA पआसेई, D. पयासेई, 0. पआसेई । ८५. D. दोहा । तिण्णि-D. तिन्नि । एम-D. इणि । विसम-C. विस । पअंति-A. पलंति, B. पतिअं, C. पअन्ति। पाअहिँ-A. B. C. पाअहि, D. पाइहिं, K. पाअहिँ । अंतक्ककलु-D. अंतिक्कलु । ठवि-A. ठेवि । णिब्भंति-A. इमभंति, B. णिब्बंत, D. K. O. णिम्भंति, C. णिभ्भन्ति ।
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