Book Title: Prakritpaingalam
Author(s): Bholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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११६] प्राकृतपैंगलम्
[२.६७ है, या यह देश्य भाषा में संस्कृत की गमक लाने की चेष्टा कही जा सकती है। जहा,
उम्मत्ता जोहा ढुक्कंता विप्पक्खा मज्झे लुक्ता ।
णिक्वंता जंता धावंता णिब्भंती कित्ती पावंता ॥६७॥ [विद्युन्माला] ६७. उदाहरण:
कोई कवि युद्ध का वर्णन कर रहा है :-उन्मत्त योद्धा, परस्पर एक दूसरे पक्ष के योद्धाओं से मिलते हुए, विपक्ष के बीच में छिप कर (घुस कर) (उनको मारकर) निकलते हुए शत्रुसेना के प्रति जाते हैं व दौड़ते हैं, तथा (संसार में) निभ्रांत कीर्ति को प्राप्त करते हैं।
टिप्पणी-जोहा < योधाः ।। दुक्ता, लुक्कंता, णिकंता, जंता, धावंता, पावंता-ये सभी वर्तमानकालिक कृदंत के ब० व० रूप हैं । प्रमाणिका छंदः
लहू गुरु निरंतरा पमाणिआ अठक्खरा ।
पमाणि दूण किज्जिए णराअ सो भणिज्जए ॥१८॥ ६८. एक लघु के बाद क्रमश: एक एक गुरु हो, वह आठ अक्षर का छंद प्रमाणिका है। प्रमाणिका को द्विगुण कर दीजिये, उसे नाराच छंद कहिये । (नाराच में एक एक लघु के बाद एक एक गुरु होता है तथा प्रत्येक चरण में १६ अक्षर होते हैं ।)
(प्रमाणिका :-15 1 5 1 5 1 5) | टिप्पणी-दूण < द्विगुणिताः (हि० दुगने, रा० दूणा) । किज्जए, भणिज्जए (क्रियते, भण्यते) कर्मवाच्य रूप ।
जहा,
णिसंभसुंभखंडिणी गिरीसगेहमंडिणी ।
पअंडमंडखंडिआ पसण्ण होउ चंडिआ ॥६९॥ [प्रमाणिका) ६९. उदाहरण:
निशुंभ तथा शुंभ का खंडन करने वाली, महादेव के घर को सुसज्जित करनेवाली (महादेव की गृहिणी), प्रचंड मुंड नामक दैत्य का खंडन करनेवाली चंडिका प्रसन्न हो ।
टिप्पणी-होउ < भवतु । अनुज्ञा प्र० पु० ए० व० । मल्लिका छंदः
हारगंधबंधुरेण दिट्ठ अट्ठ अक्सरेण ।
बारहाइ मत्त जाण मल्लिआ सुछंद माण ॥७०॥ ७०. जहाँ क्रमशः एक एक गुरु के बाद एक एक लघु के बंध, तथा आठ अक्षर के साथ बारह मात्रा समझो, वहाँ मल्लिका छंद मानो ।
(मल्लिका-5। 5 । 5 । 51)
टिप्पणी-जाण-माण । अनुज्ञा म० पु० ए० व० । ६७. उम्मत्ता-B.N.O. उन्मत्ता । मज्झे-B. मम्मे, C. मझ्झे। णिब्भंती-C. K.O. णिभ्भंती । ६८. पमाणिआ अठक्खराB. 'अठखरा, C.O. पमाणि अठ्ठअक्खरा । N. पमाणि अट्ठक्खरा । किज्जिए-A. B. N. किज्जिए. C. K. किज्जए । णराअ0. णराउ । भणिज्जए-A. भणिज्जिए । ६९. पसण्ण-0. पसण्णि । पअंड... ... चंडिआ-C. पचंडचंड खंडिए पसण्णि होहु चंडिए । ७०. हारगंधबंधुरेण-C. हारबंधगंधएण । बारहाइ-C. वारहाइँ, N. बारहाहि । मल्लिआ-A. B. मल्लिका।
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