Book Title: Prakritpaingalam
Author(s): Bholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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भूमिका
३७९ पलाउ (१.१२६)-C, K (A) पसाउ। देसा (१.१२८)-C, K (A), K (B), K (C) देहा । कालंजर (१.१२८)-C, K (A) कालिंजर । भअ (१.१४५)-C, K (A) गअ । कीअउ (१.१४५)-C कीण, K (A) किण ।
हमें बडौदा विश्वविद्यालय से प्राप्त हस्तलेख 0 भी इस वर्ग से प्रभावित अवश्य जान पड़ता है । इसके निदर्शन ये हैं :
इतिकारा-O. C. D. इहिआरा (१.५) । सहज-0. C. सहजे (१.७) । इथि-0. C. इत्थि (१.९) । चाहहि-0. A. C. चाहसि (१.९) । गुरुमज्झो-0. D. मज्झे, C. मज्जो (१.१७) । तुंबूर-C.O. तुंबुरु (१.१८) । पअहरथणअं-K. O. पवनं (१.२५) । कणअलअं-K. O. कलअलअं (१.३२) । कज्ज किछु मंद दिखावइ-C. 0. कज्जबंध किछु देखावइ (१.३८) सत्ताइस -B. C. D. O. अठ्ठाइस (१.७५) । इह-C. O. एहु (१.८६) । धुल्लिअ-C. O. धूलिहि (१.९२) । पिट्ठ-C. O. पीठ (१.९२) । गिव-C. O. गिम (१.९८) । झल्लउ-C. O. झालउ (१.१०६) ।
द्वितीय वर्ग :-इस वर्ग में निर्णयसागर संस्करण की आधारभूत, जयपुर वाली प्रति N. तथा कलकत्ता वाली प्रति K (D) आती है। इनके कई पाठ भिन्न परंपरा का संकेत करते हैं । कुछ निदर्शन ये हैं :
तिण्णि कलु (१.८०)-N, K (D) तिण्णिअलु । देआणं (१.८२)-N, K (D) लोआणं । हंसीआ (१.८९)-N, K (D) हंसिणिआ । वि लहु (१.८८) -N, K (D) विचल । भोटुंता (१.१९८)-N, K (D) भोडता । भाअहि-(१.१९६)-N. भागहिँ, K (D) भागहि । जण बुज्झउ (१.१९६) -N, K (D) जणउ उह ।
तृतीय वर्ग-हस वर्ग का एक मात्र प्रतिनिधि संस्कृत कालेज बनारस वाला A हस्तलेख है। इसीसे संबद्ध B हस्तलेख है।
चतुर्थ वर्ग-जैन उपाश्रय वाला अपूर्ण हस्तलेख D कहीं C हस्त लेख से मिलता है, तो कहीं A से । इसकी निजी विशेषता य श्रुति का प्रयोग है । अत: इस पर इन दोनों का मिश्रित प्रभाव जान पड़ता है।
इन विविध हस्तलेखों की वंशपरम्परा निम्न प्रकार से व्यक्त की जा सकती है :
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