Book Title: Prakritpaingalam
Author(s): Bholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 679
________________ ६५४ प्राकृतपैंगलम् पड़ता है । ३२ मात्रा की बंदिश का ३१ वर्ण वाला एक छन्द प्राकृतपैंगलम् में मौजूद है, जिसमें वर्णसंख्या तथा मात्रासंख्या दोनों नियत हैं। वह छन्द मात्रिक दुर्मिल, पद्मावती, लीलावती आदि की जाति का तालच्छन्द है । प्राकृतपैंगलम् का यह छन्द 'जलहरण' है, जिसका नाम कुछ हस्तलेखों में 'जनहरण' भी है। भिखारीदास ने इसके लक्षणोदाहरण में बत्तीसों अक्षर लघु माने हैं । जलहरण और जनहरण दो घनाक्षरी के भी भेद हैं, इसका संकेत हम कर चुके हैं जो प्राकृतपैंगलम् के जलहरण की पूरी गति तो घनाक्षरी से नहीं मिलती, पर कुछ टुकड़े, खास तौर पर अन्तिम यतिखंड (करि तुरअ चले, बहु दिसि चमले, करिवर चलिआ, जब रण चलिआ) स्पष्टतः घनाक्षरी की पादांत सप्ताक्षर यतिखंड वाली गति, लय और गूंज से समन्वित हैं। हो सकता है, पुराने हिंदी कवियों में प्राकृतपैंगलम् के 'जलहरण' से मिलता-जुलता कोई और भी छन्द प्रचलित रहा हो और आगे चलकर वही ध्रुपद से छनता हुआ मध्ययुगीन हिदी कवियों के यहाँ घनाक्षरी के रूप में अवतरित हो गया हो । १. दे० - अनुशीलन ६ १९२ २. दे० प्रा० पैं० १.२०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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