Book Title: Prakritpaingalam
Author(s): Bholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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१२२] प्राकृतपैंगलम्
[२.८८ कोइलसाव-< कोकिलशावाः, कर्ताकारक ब० व० में प्रातिपदिक का प्रयोग । गाव-2 गायंति; वर्तमानकालिक प्र० पु० ब० व० शुद्ध धातु का प्रयोग ।। मण मज्झ-कुछ टीकाकारों ने 'मनोमध्ये' माना है, कुछने 'मनो मम' अर्थ लिया है, हमें दूसरा अर्थ ठीक जंचता है। मज्झ-< मम (दे० पिशेल ६ ४१५, ६ ४१८) ।
ताव-< तापयति; णिजंत किया रूप, 'Vतवाणिच्+० (शून्य तिङ्) = ताव्+० = ताव; णिजंत का वर्तमानकालिक प्र० पु० ए० व० ।
अज्जु-< अद्य > अज्ज > अज्जु; (हि. आज) । आव-< आयाति; वर्तमानकालिक प्र० पु० ए० व० 'शून्य विभक्ति' या शुद्ध धातु रूप । रूपमाला छंदः
णाआराआ जंपे सारा ए, चारी कण्णा अंते हारा ए।
अट्ठाराहा मत्ता पाआए, रूआमाला छंदा जंपीए ॥८८॥ ८८. (जहाँ प्रत्येक चरण में) चार कर्ण (गुरुद्वयात्मक गण) तथा अंत में हार (गुरु) हों अर्थात् जहाँ नौ गुरु हों, तथा अठारह मात्रा हों, यह उत्कृष्ट रूपमाला छंद कहा जाता है, ऐसा नागराज पिंगल कहते हैं।
(रूपमाला-555555555) टि०-जंपे-< जल्पति; वर्तमानकालिक प्र० पु० ए० व० । अट्ठाराहा-< अष्टादश; ('अट्ठारह' का छन्दोनिर्वाहार्थ विकृतरूप, 'अट्ठारह' के लिए दे० पिशेल $ ४४३) । जंपीए-< जल्प्यते; कर्मवाच्य वर्तमान प्र० पु० ए० व० । जहा,
जं णच्चे विज्जू मेहंधारा पंफुल्ला णीपा सद्दे मोरा ।
वाअंता मंदा सीआ वाआ, कंपंता गाआकंता णा आ. ॥८९॥ [रूपमाला] ८९. उदाहरण:किसी विरहिणी की उक्ति है।
"बिजली नाच रही है, मेघांधकार (फैल गया है), कदंब फूल गये हैं, मोर शब्द कर रहे हैं, शीतल पवन मंद मंद चल रहा है; इस लिये मेरा शरीर काँप रहा है, (हाय) प्रिय (अभी तक) नहीं आया ।
टिo-मेहंधारा-< मेघांधकारः, ‘पदांत आ' छन्दोनिर्वाहार्थ है।
पंफुल्ला-< प्रफुल्ला: > पफुल्ला, इसी 'पफुल्ला' में छन्दोनिर्वाहार्थ अनुस्वार का समावेश कर 'पंफुल्ला' बना दिया गया है। यह कर्मवाच्य-भाववाच्य भूतकालिक कृदंत रूप हैं।
सद्दे-< शब्दायते; वर्तमानकालिक प्र० पु० ब० व० । वाअंता-< वान्तः (वर्तमानकालिक कृदंत रूप, ब० व० )। कंपंता-< कम्पत् (गात्रं गाआ) वर्तमानकालिक कृदंत ए० व० (कंपंत) का छन्दोनिर्वाहार्थ विकृत रूप ।
आ-< आयातः > आओ > आआ > आ (हि० आया, जो वस्तुतः ‘आ आ' का ही श्रुतियुक्त रूप है; रा० आयो)। दशाक्षरप्रस्तार, संयुताछंदः
जसु आइ हत्थ विआणिओ तह बे पओहर जाणिओ ।
गुरु अंत पिंगल जंपिओ सइ छंद संजुत थप्पिओ ॥९०॥ ८८. जंपे-N. जप्पे । अट्ठाराहा-N. अट्ठादाहा । रूआमाला-0. रूआमालि । छंदा-C. छंदो । जंपीए-A. जंपाए, C. O. जंपू ए । ८९. पंफुल्ला-C. पफुल्लो, 0. पप्फुल्ला । णीपा-0. णीवा । सद्दे-C. सदे । वाअंता-C. वीअंता । मंदा-C. मत्ता । ९०. जसु-A. जसू । पिंगल-पिंगले । सइ-B. तइ, C.O. सोइ, N. सहि । छंद-0. छंदु ।
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