Book Title: Prakritpaingalam
Author(s): Bholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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२.४२] वर्णवृत्तम्
[१०९ टिप्पणी-बाराहा-<द्वादश; प्रा० पै० में इसका 'बारह' रूप भी मिलता है। इसीका छन्दोनिर्वाह के लिए 'बाराहा' कर दिया गया है (स्वर का दीर्धीकरण) ।
होत्तं-इसका विकास वर्तमानकालिक कृदंत 'होतं-होत' से हुआ है। इसी होत को छंदोनिर्वाह के लिए सानुस्वार रूप दे दिया गया है। साथ ही 'त' का द्वित्व भी कर दिया गया है। इस सम्बन्ध में इतना संकेत कर दिया जाय कि निर्णयसागर संस्करण तथा 'A' प्रति में 'होतं' पाठ है। (तु० राज० होतो, हि० होता) ।
सेसा-छंदोनिर्वाह के लिए स्वर का दीर्धीकरण । जहा,
जुज्झंती उद्दामे कालिक्का संगामे ।
णच्चंती हम्मारो दूरित्ता संहारो ॥४२॥ [सेस] ४२. उदाहरण:उद्दाम संग्राम में युद्ध करती तथा नाचती कालिका हमारे दुःख का नाश करो । टिप्पणी-जुज्झंती-< युद्ध्यंती, वर्तमानकालिक कृदन्त प्रत्यय 'अंत' का स्त्रीलिंग रूप । कालिका-अर्धतत्समरूप छन्दोनिर्वाह के लिए 'क्का' में द्वित्व । णच्चंती-< नृत्यन्ती, वर्तमानकालिक कृदन्त स्त्रीलिंग रूप (हि० नाचती)।।
हम्मारो-<अस्माकं>अप० अम्हार हम्मारो [यह 'ओ'कारांत प्रवृत्ति जो संबद्ध संज्ञा 'दुरित्त' (ए० व०) के साथ संबंधी में पाई जाती है, राजस्थानी की प्रवृत्ति का आदिम रूप है] (तु० राज० 'म्हारो छोरो', 'म्हारा छोरा')।
दूरित्ता-दो स्थानों पर दीर्धीकरण तथा 'त' का द्वित्व छंदोनिर्वाह के लिए हुआ है। कर्म कारक ए० व० । संहारो-अनुज्ञा प्र० पु० ए० व० (संहरतु>संहरउ>संहरो-संहारो) । तिल्ल (तिलका) छंदः
पिअ तिल्ल धुआं सगणेण जुअं।
छह वण्ण पओ कल अट्र धओ ॥४३॥ .४३. हे प्रिये, जहाँ दो सगण हो, प्रत्येक चरण में छः वर्ण तथा आठ मात्रा धरी हों, वह तिल्ल छंद है। (ISISI) टि-कल-< कला: यहाँ 'कला' का छन्दोनिर्वाह के लिए 'कल' कर दिया गया है।
जहा,
पिअ भत्ति पिआ गुणवंत सुआ।
धणजुत्त घरा बहु सुक्खकरा ॥४४॥ [तिल (का)] ४४. उदाहरण:प्रियभक्त प्रिया (पत्नी), गुणवान् पुत्र, धनशाली घर, (ये सब) बड़े सुखकारी होते हैं । विज्जोहा छंद :
अक्खरा जे छआ पाअ पाअ ट्ठिआ।
मत्त पंचादुणा बिण्णि जोहा गणा ॥४५॥ ४५. जहाँ प्रत्येक चरण में छः अक्षर स्थित हों, तथा पाँच की दुगुनी (दस) मात्रायें हों तथा दो योद्धागण (गण) हों (उसे विज्जोहा छंद समझो)।
टि०-दुणा-< द्विगुण (हि० दुगना, रा० दूणा) ।। ४२. जुज्झंती-C. K. जुझ्झंती । हम्मारो-O. संहारो । दूरित्ता-B. दुरित्ता । संहारो-C. हम्मारो, O. हमारो । सेसा-C. सेस । ४३. पिअ-B. तिअ । तिल्ल-C.O. डिल्ल । धु-A. धुवं । कल अट्ठ धओ-B. "कओ, C. कल कट्ठ ठओ । ४४. गुणवंतगुणमंत । सुआ-A. सूआ । धणजुत्त-A. B. धणमंत । सुक्ख-A. सूक्ख, B. दुख, C. सुक्खु । ४५. जे-C. जं। पाअ द्विआK. पाअंठिआ। पंचा-0. पंच ।
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