Book Title: Prakritpaingalam
Author(s): Bholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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९२] प्राकृतपैंगलम्
[१.१९६ [अथ दुर्मिला छंदः]
तीस दुइ मत्तह एरि संजुत्तह बुहअण राअ भणंति णरा,
विसम त्तिअ ठामहि एरिस भाअहि पअ पअ दीसइ कण्ण घरा । ता दह पढमं ट्ठावे अट्ठ अं तीअ चउद्दह किअ णिलओ,
जो एरिसि छंदे तिहुअणवंदे सो जण बुज्झउ दुम्मिलओ ॥१९६॥ १९६. दुर्मिला छंदः
हे मनुष्य, बुधजनों के राजा (पिंगल) कहते हैं कि जहाँ प्रत्येक चरण बत्तीस (तीस और दो) मात्रा से युक्त हो, तीन स्थानों पर विश्राम हो, तथा प्रत्येक चरण के अंत में कर्ण (द्विगुरु गण) दिखाई दे, जहाँ पहले दस, फिर आठ, फिर तीसरे चौदह मात्रा पर विश्राम (निलय) हो, ऐसे त्रिभुवनवंदित छंद को दुर्मिला समझो ।
टिo-भाअहि-< भागैः; करण कारक ब० व० । दीसइ-< दृश्यते; कर्मवाच्य का रूप । किअ-< कृतः; कर्मवाच्य भूतकालिक कृदंत ।।
छंदे, वंदे -ये दोनों कर्ताकारक ए० व० के रूप हैं। इस अंश की संस्कृत होगी-'यत् एतादृक् छंद: त्रिभुवनवंदितं (अस्ति) तत्....' 'ए' विभक्ति चिह्न के लिए दे० भूमिका ।
दह वसु चउदह विरह करु विसम कण्ण गण देहु ।
अंतर विप्प पइक्क गण दुम्मिल छंद कहेहु ॥१९७॥ [दोहा) १९७. दस, आठ, चौदह पर यति (विरति) करो, पद में विषम स्थान पर कर्ण (गुरुद्वय) तथा बीच में विप्र (सर्वलघु चतुर्मात्रिक) तथा पदाति (सामान्य चतुष्कल) दो, (इसे) दुर्मिला छंद कहो । जहा,
जइ किज्जिअ धाला जिण्णु णिवाला भाछूता पिढेंत चले,
भंजाविअ चीणा दप्पहि हीणा लोहावल हाकंद पले । ओड्डा उड्डाविअ कित्ती पाविअ मोडिअ मालवराअबले,
तेलंगा भग्गिअ बहुरिण लग्गिअ कासीराआ ज खण चले ॥१९८॥ [दुर्मिला] १९८. उदाहरण :
जिस काशीश्वर राजा ने व्यूह (धारा) बनाया; नेपाल (के राजा) को जीता; जिससे हार कर भोट देश के राजा (अपने शरीर को) पीटते चले गये, जिसने चीन देश के दर्पहीन राजा को भगाया तथा लोहावल में हाहाकार उत्पन्न कर दिया, जिसने उड़ीसा के राजा को उड़ा दिया (हरा दिया या भगा दिया), कीर्ति प्राप्त की, और मालवराज के कुल को उखाड़ फेंका; वह काशीश्वर राजा जिस समय रण के लिए चला उस समय अत्यधिक ऋणग्रस्त तैलंग के राजा भग गये।
टि०-किज्जिअ, जिण्णु भंजाविअ, उड्डाविअ, पाविअ, मोडिअ, भग्गिअ, लग्गिअ, चले, पले-ये सब कर्मवाच्य भूतकालिक कृदंत के रूप हैं। १९६. दुडु-A, दु, N. दुही । मत्तह-B. मत्तहि, K. मत्ते । एरि सँजुत्तह-A.N. परिसंजुत्तह, B. जुतहि, C. एरि सिजुत्ते । राअ-C. राउ, N. एअ। ठामहि-N. ठाअहि । भाअहि-N. भागहिँ । घरा-N. गणा । जण बुज्झउ-N. जणउ उह । १९७. दहB. तह । चउदह-B. चौदह । करु-N. कर, देह-B. देह । पइक्क-C. थइक्क । गण-A. भण, C. मल। कहेहु-B. कहेह, C. मुणेहु । ०. न प्राप्यते । १९८. जइ-B. जइ, C. K. जो । जिण्णु णिवाला-N. जिणु निव्वाला C. "णेपाला । भाटुंताN. भोडता, A. B. भोटंता । भंजाविअ-B. जंभारिअ । दप्पहि हीणा-0. दप्प विहीणा । आड्डा-N. औड्ड । उड्डाविअ-C. उठ्ठावि। मोडिअ-C.K. मोलिअ। मालव-0. मालउ । तेलंगा भग्गिअ-N. तैलंग ब्भग्गिअ । बहुरिण लग्गिअ-A. बहुलिण लग्गिअ B. बहुतिणलगिअ, N. बहुरिणलग्गिअ, K. पुणवि ण लग्गिअ । कासीराआ-A. कासीसरराआ, B. कासीसररज, N. कासीसररज, 0. "राणा । ज खण-N. 0 क्खण्ण ।
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