Book Title: Kasaypahudam Part 09
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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विषय
श्रवस्थितपदा अर्थ वक्तव्यपदका श्रर्थ
समुत्कीर्तना
स्वामित्व
एक जीवकी अपेक्षा काल
चार गतियोंमें कालका व्याख्यान
एकेन्द्रियोंमें कालका व्याख्यान
एक जीवकी अपेक्षा श्रन्तर चार गतियों में श्रन्तरका व्याख्यान
भागाभाग
परिमाण
क्षेत्र
स्पर्शन
काल
[23]
अन्तर
भाव
पृष्ठ
३२२
३२६
३२८
३४४
३४६
एकेन्द्रियों में श्रन्तरका व्याख्यान नानाजीवों की अपेक्षा भंगविचय
३५१
नानाजीवकी अपेक्षा कालके जाननेकी सूचना ३५६
३५६
२६०
२६०
२६१
२६४
३०६
३५८
३५६
३५६
३६२
३६४
३७२
विषय
श्रल्पबहुत्व
पदनिक्षेप
तीन श्रनुयोगद्वार और उनके नाम
प्ररूपणाके दोनों भेदोंका कथन स्वामित्वके कहनेकी सूचना
उत्कृष्ट वृद्धि श्रादिका स्वामित्व
जघन्य वृद्धि श्रादिका स्वामित्व
अल्पबहुत्वकथन
उत्कृष्ट श्रल्पबहुत्व
जघन्य श्रल्पबहुत्व
वृद्धि
तीन श्रनुयोद्वार कहने की प्रतिज्ञा समुत्कीर्तना
स्वामित्व और अल्पबहुत्व
प्रदेशसंक्रमस्थान
दो अनुयोगद्वारोंके कहनेकी प्रतिज्ञा
प्ररूपणा
श्रल्पबहुत्व
पृष्ठ
३७३
३७६
३८०
३८१
३८१
३६७
४१८
४१८
४२८
४३०
४३०
४३७
४३८
४३६